Book Title: Bhamashah Author(s): Dhanyakumar Jain Publisher: Jain Pustak Bhavan View full book textPage 8
________________ श्री यशपालजी जैन (सुप्रसिद्ध साहित्यकार और जीवन साहित्यके सम्पादक) यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि आपने 'भामाशाह' नाटक लिखा है । हमारे इतिहास के उज्ज्वल रत्नों में भामाशाह की गणना होती है । उनके विषय में लिखकर निस्सन्देह आपने एक अभिनन्दनीय कार्य किया है । मेरी हार्दिक बधाई । मुझे विश्वास है आपकी सरस एवं प्रभावशाली शैली तथा कार्य विषय की उत्कृष्टता के कारण यह कृति अपने ढंग की एक ही वस्तु होगी। इन्दौर, -~यशपाल श्री विद्यानिवास जी मिश्र ( सूचना तथा प्रचार पदाधिकारी वि० प्र०) __ आपकी नवीन प्रस्तावित रचना का मैं सहर्ष स्वागत करता हूं और आपकी तरुण प्रतिभा का अंशदान हमारे लिये सदैव अभिनन्दनीय होगा। क्योंकि आपकी साधना, मुझे पूर्ण विश्वास है कि, शुद्ध साधना की भावना से प्रेरित होगी। -विद्यानिवास मिश्र रीवा, श्री चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ 'प्राचार्य दि० जैन संस्कृत कालेज जयपुर) यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि आपने 'भामाशाह' नामक नाटक की रचना की है। आपकी लगन और उत्साह के लिये धन्यवाद है। -चैनसुखदास जयपुर,Page Navigation
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