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भगवती सूत्रे
पुरुषाः वा बध्नन्ति नपुंसका वा वध्नन्ति ? किंवा 'नोहत्थीनोपुरिसनोनपुंसओ बंधइ ? ' नोस्त्री नोपुरुषो नोनपुंसको बध्नाति ? तथा च आदिभिः पट्पदैः सवेदकानां कर्मबन्धविषयकः प्रश्नः, 'नो स्त्री - इत्यादि सप्तम पदेन अवेदकस्य कर्मबन्धविपयः प्रश्नः, तदनुसारेणैव आदीनां पण्णां वेदकविपयकपदानां निषेधात्मकमुत्तरम् सप्तमपदोक्तव्यपगत वेदविषयकं स्वीकारात्मकमुत्तरमित्याह - 'गोयमा ! नो इत्थी बंधइ, नोपुरिसो बंध, जाव नो नपुंसगा बंधंति ' हे गौतम ! ऐर्यापथिकं कर्म नो स्त्री arrant नाति, नो पुरुषः पुंस्त्ववेदको बध्नाति यावत् नो नपुंसक:-नपुंसकत्ववेदको वध्नाति, नो वा स्त्रियः स्त्रीत्ववेदाः वध्नन्ति, नो पुरुषाः पुंस्त्ववेदा
बंधंति' किंवा स्त्रियां बांधती हैं, पुरुष बांधते हैं, या नपुंसक बांधते हैं ? अथवा 'नो इत्थी नो पुरिसो नो नपुंसओ बंध' नो स्त्री नो पुरुष नो नपुंसक अर्थात् सिद्ध बांधता है क्या ? यहां वेद की अपेक्षा लेकर ये ७ सात प्रश्न किये गये हैं-सो इनमें से आदि के ६ पदों द्वारा वेद वाले जीवों के ऐर्यापधिक कर्म के वध के विषय के ६ प्रश्न हैं और 'नो इत्थी' आदिरूप जो यह सातवां पद है उससे अवेदक जीव के ऐर्यापथिक होनेके विषय में प्रश्न है सो आदि के वेद विषयक ६ प्रश्नों के उत्तर निषेधात्मक हैं । और सप्तम प्रश्न का उत्तर स्वीकारात्मक है इसी बात को सूत्रकार 'गोधमा ! नो इत्थी बंध, नो पुरिसो बंध, जाव नो नपुंसगा बंधंति' इस सूत्र द्वारा प्रकट करते हैं-वे कहते हैं हे गौतम ! ऐर्यापथिक कर्म को न स्त्री-स्त्रीत्ववेदक जीव-बांधता है, न पुरुष - पुंस्त्ववेदक जीव-बांधता है, यावत् न नपुंसक नपुंसकत्ववेदक जीव-बांधता है, न स्त्रीत्व वेदवाले जीव बांधते हैं, न पुरुष पुरुष પથિક કમ સ્ત્રીએ ખાંધે છે, કે પુરુષા બાંધે છે, કે નપુ ́સકે ખાંધે છે ? अथवा शु ( तो इत्थी, नो पुरिसो, नो नपुंसओ बंधइ ) तो. स्त्री, नो पुरुष, ને નપુંસક–એટલે સિદ્ધ ખાંધે છે? અહી વેદને અનુલક્ષીને ઉપર પ્રમાણે સાત પ્રશ્નો પૂછવામા આવ્યા છે. તે સાત પ્રશ્નોમાંથી પહેલાં છ પ્રશ્નો દ્વારા वेदृवाजा लबाना भैर्याथिर्भ अध विषे प्रश्न पूछया छेाने (तो इत्थी) આદિ રૂપ સાતમે પ્રશ્ન અવૈદક જીવના અર્વાધિક કમ અંધ વિષે પૂછવામાં આવ્યા છે. શરૂઆતના વેદવિષયક ૬ પ્રશ્નોના ઉત્તર નિષેધાત્મક (નકારવાચક) છે અને સાતમા પ્રશ્નને ઉત્તર સ્વીકારાત્મક (હકારવાચક ) છે એજ વાત सूत्रकार महावीर अलुना उत्तर द्वारा नीचे प्रभाट ४२ छे - ( गोयमा ! ) हे गौतम! ( नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ, जाव णो नपुंसगा बंध ति ) भैर्यापथिङ उमना गंध स्त्री (स्त्रीत्व वे लव) मांघती नथी. पुरुष (रु.
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