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स्कृतश्च नपुंसकपश्चात्कृताश्च वनन्ति१०, अंधया पुरुषपश्चात्कृताच नपु. सकेपश्चात्कृत वन्ति '११, अधवा पुरुपपश्चात्कृताश्च नपुंसकपञ्चात्कृताश्च वध्नन्ति १२ । अथ त्रिकर्मयोगेन' अष्टौ विकल्पांनाह-' उदाहु इत्थीपच्छाकंडो ये, पुरिर्सपच्छांकडो य; पुसगपच्छाकडो य भोणिय 'उताहो 'स्त्रीपश्चास्क तंच, पुरुषपश्चात्कृतश्च नपुंसकपश्चात्कृतश्च बध्नाति १, इति भणितंव्यम् , एवम्
अवेदक जीव पुरुचपश्चात्कृत है और कोई एक नपुंलकपश्चात्कृत है वे क्या इस ऐपिथिक कर्म का बंध करते है ९, अथवा-जो एक अवेदक जीव पुरुषपश्चात्कृत है और कितनेक अवेदक जीव नपुंसकपश्चात्कृत है तो क्या.ये दोनों तरह के जीव उस ऐपिथिक कर्म का बंध करते हैं ? १३, अथवा-कितनेक अवेदक जीव पुरुषपश्चात्कृत हैं और एक अवेदक जीवनपुंसकपश्वात्कृत है तो क्या ये दोनों इस ऐर्यापथिक कर्मवन्ध करते हैं.? ११, अथवा-जो अनेक अवेदक जीव पुरुषपश्चात्कृत हैं और अनेक हीअवेदक जीवनपुंसकपश्वात्कृत हैं तो ये दोनों ही प्रकारके अवेदक जीव ऐपिथिक कर्मका बंध करते हैं ? १२, इस प्रकार से ये एकल और बहुत्व को लेकर द्विक के सयोग में १२ भंग होते हैं। त्रिकसंयोग में जो आठ विकल्प होते हैं वे इस प्रकार से हैं-'उदाहु इत्थीपच्छाकडो य, पुरिस. पच्छाकडो-य, नपुंसगपच्छाकडो य भागियध्वं ' इस ऐपिथिक कर्म को 'जो अवेदक जीव स्त्रीपश्चात्कृत है, पुरुषपश्चात्कृत है, नपुंसकप
2011 - 15 ... એક એવેદક જીવ અને નપુંસક પશ્ચાદ્ભુત હોય એ એક જીવ શું ઐર્યા पथि: ४मांधे छ,१ .(१०). 24241-पुरुष -५श्वात्तृत डाय सेवा से, જીવ અને નપુંસક-પ્રશ્ચાદ્ભુત હોય એવા અનેક અવેદક જી શું ઐયપથિક કર્મ બંધ કરે છે ? (૧૧) અથવા પુરુષ પશ્ચાદ્ભૂત હોય એવા અનેક અવેદક જીવે અને નપુંસક પશ્ચાત હોય એ એક અવેદક જીવ શું પથિક કર્મ બાંધે છે ? (૧૨) અથવા પુરુષ-પશ્ચાદ્ભૂત હોય એવાં અનેક વેદક છે અને નપુંસક પશ્ચાદ્ભૂતહેય. એવા અનેક પદક જીવો શું ઐર્યાપથિક કર્મ બાંધે છે ? આ રીતે એકત્વ અને બહુત્રની અપેક્ષાએ દિકના સગથી ઉપર ' ४५ .१२ -१ (वि६५.) भने छ... । . .." संयोगयी है. विxeपो मने छ त नाय प्रभार छ :
(१) उदाहु-इत्थी. पच्छाकहो य, पुरिसंपच्छोकडों य, नपुसौपच्छाकंडो य भाणियव ) अथवा रे वे श्रीपश्चात छ, पुरुष-पश्चात्त छ भने