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जन्म एवं विवाह प्रसंग
स्वयं जिनसेन ने प्रस्तुत प्रकरण में ही गर्भ में नौ माह रहने का उल्लेख किया है ।२१
वंश, गोत्र, कुल :
भगवान् अरिष्टनेमि का वंश हरिवंश माना गया है ।२२ हरिवंश उत्तम वंशों में परिगणित है क्योंकि अनेक तीर्थंकर, चक्रवर्ती, वासुदेव और बलदेव आदि हरिवंश में उत्पन्न हुआ करते हैं ।२3 __ अरिष्टनेमि का गोत्र गौतम ४ और कुल वृष्णि था ।२५ अंधक और वृष्णि दो भाई थे। वृष्णि अरिष्टनेमि के दादा थे। उनसे वृष्णि कुल का प्रवर्तन हुआ। अरिष्टनेमि वृष्णि कुल में प्रधान पुरुष थे, अतः उन्हें 'वृष्णि पुङ्गव' कहा गया है ।२६ ।
२०. तत: कृतसुसङ्गमे निशि निशाकरे चित्रया ।
प्रशस्तसमवस्थिते ग्रहगणे समस्ते शुभे ॥ असूत तनयं शिवा शिवदशुद्धवैशाखजत्रयोदशतिथौ जगज्जयनकारिणं हारिणम् ।।
-हरिवंशपुराण ३८६। पृ० ४७६ भारतीय ज्ञानपीठ काशी २१. ""गमयतः स्म मासान्नव ।
---वहीं ३८।८। पृ० ४७६ २२. (क) तत्थ य पंचसु लक्खेसु समइक्कतेसु णमिजिणाओ। अरि?णेमिकुमारो समुप्पण्णो। सो य हरिवंसे ।।
-चउप्पन्नमहापुरिसचरियं, पृ० १८० (ख) नेमीशो हरिवंशशैलतिलको द्वाविंशसंख्यो जिनः ।
-हरिवंशपुराण ३४११५१ २३. एवं खलु अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा
उग्गकुलेसु वा, भोगकुलेसु वा, राइण्णकुलेसु वा, इक्खागकुलेसु वा खत्तियकुलेसु वा, हरिवंसकुलेसु वा अन्नतरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्धजातिकुलवंसेसु आयाइसुवा, आयाइति वा आयाइसंति वा ।
-कल्पसूत्र सूत्र १७, पृ० ५६ २४. (क) उत्तराध्ययन २२१५
(ख) सप्ततिशतस्थान प्रकरण ३७-३८, द्वार, गा० १०५
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