Book Title: Bhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 399
________________ भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १ ३६७ लाट: लाट देश की अवस्थिति अवन्ती के पश्चिम तथा विदर्भ के उत्तर में बताई गई है। विज्ञों का अभिमत है कि इस जनपद में गुजरात और खानदेश सम्मिलित थे। माही और महोबा के निचले भाग लाट देश में सम्मिलित थे । वर्तमान भडौंच, बड़ौदा, अहमदाबाद एवं खेड़ा के जिले लाट देश के अन्तर्गत थे ।१०६ भगुकच्छ (भडोंच) लाट देश की शोभा माना गया है। व्यापार का यह मुख्य केन्द्र था। आचार्य वज्रभूति का भी यहां विहार हुआ था ।१० यहां पर मामा की लड़की से विवाह को अनुचित नहीं माना जाता था किन्तु मौसी की लड़की से विवाह करना ठीक नहीं समझते थे । १० वर्षाऋतु में गिरियज्ञ१० नामक महोत्सव व श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के दिन इन्द्रमह महोत्सव११० मनाया जाता था। भृगुकच्छ और उज्जयिनी के बीच पच्चीस योजन का अन्तर था । ११ इस प्रकार लाट देश का उल्लेख जैन ग्रन्थों मे हुआ है किन्तु उसकी पृथक् रूप से गणना आर्य देशों में नहीं की गई है। मगध : जैन वाङमय में मगध का वर्णन अनेक स्थलों पर हुआ है। प्रस्तुत जनपद की सीमा उत्तर में गंगा, दक्षिण में शोण नदी, पूर्व में अंग और उत्तर में गहन जंगलों तक फैली हुई थी। इस प्रकार दक्षिण बिहार मगध जनपद के नाम से विश्रुत था। इसकी राजधानी गिरिव्रज या राजगह थी। महाभारत में इसका नाम कीटक भी आया है। वायपुराण के अनुसार राजगृह कीटक था। शक्तिसंगम तंत्र में कालेश्वर-कालभैरव-वाराणसी से तप्तकूड-सीताकुण्ड, मुगेर तक मगध देश माना है ।११२ इस तंत्र के अभिमतानुसार मगध का दक्षिणी १०६. आदि पुराण में भारत पृ० ६५ १.७. व्यवहारभाष्य ३१५८. १०८. निशीथ चूणि पीठिका १२६ १०६. वृहत्कल्पभाष्य ११२८५५ ११०. निशीथचूर्णी १६६०६५, पृ० २२६ १११. आवश्यकचूर्णी २, पृ० १६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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