Book Title: Bhagvana Mahavira
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ पुस्तक के प्रति भगवान् महावीर का जीवनवृत्त अहिंसा का एक वृत्त है। उनका साम्ययोग इतना सघन हो गया कि उसमें हिंसा के लिए अवकाश ही नहीं रहा। साम्ययोग सत्यं, शिवं, सुन्दरं की त्रिपुटी का सहज समन्वय है। भगवान् महावीर का जीवन जितना सहज, ऋजु और स्वत: प्रमाण है उतना ही उनके जीवन का सहज, ऋजु और स्वत: प्रमाण चित्रण प्रस्तुत कृति में हुआ है। आचार्यश्री तुलसी भगवान् महावीर की समन्वय-परम्परा के सूत्रधार हैं। उन्होंने महावीर को शब्दों के माध्यम से नहीं, किन्तु अन्तरात्मा की अनुभूति से समझा है। उनकी आन्तरिक अनुभूति ही इस कृति में, शब्दों के माध्यम से अभिव्यंजित हुई है। इस समग्र कृति में जितना विनम्र भाव महावीर के प्रति प्रकट हुआ है, उतना ही यथार्थ के प्रति और उतना ही अभिव्यंजना के प्रति। शब्द की अल्पता में अर्थ की महानता की खोज इस कृति का अभीष्ट नहीं है। इसका अभीष्ट है, महावीर की आत्मा की खोज, जो इसकी लघुता में भी उस महानता को प्रगट कर रही है। मुनि नथमल (आचार्य महाप्रज्ञ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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