Book Title: Bhadrabahu Samhita
Author(s): Nemichandra Jyotishacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 6
________________ संस्करण में भी इन अशद्धियों को दूर करने का विचार त्याग दिया गया, क्योंकि उससे पुस्तक की मौलिकता पर प्रश्नचिह्न लग सकता था। तथापि यत्र-तत्र संस्कृत मूल तथा हिन्दी अनुवाद में संशोधन भी किया गया है। __ ग्रन्थ-सम्पादक (स्व.) डॉ. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य को इस ग्रन्थ के मात्र 27 अध्याय ही हस्तलिखित पाण्डुलिपियों में प्राप्त हुए । एक रजिस्टरनुमा पाण्डुलिपि में तीसवां अध्याय भी मिला जिसे उन्होंने 'परिशिष्ट' के रूप में दिया है। 27 से आगे का कोई अध्याय प्रयास करने पर भी किसी पाण्डुलिपि में उपलब्ध नहीं हुआ। नये संस्करण के अवसर पर भी हमारा यह प्रयास विफल ही रहा । भारतीय ज्ञानपीठ से प्रथम संस्करण के रूप में इस कृति का सानुवाद प्रकाशन 1959 में हुआ था। विगत कई वर्षों से यह ग्रन्थ अनुपलब्ध था। फलित ज्योतिष में रुचि रखने वाले पाठकों के आग्रह पर इसका प्रस्तुत संस्करण नये रूपाकार में उन्हें समर्पित है। क्षमावणी पर्व, 1991 –गोकुल प्रसाद जैन उपनिदेशक

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