Book Title: Bane Arham
Author(s): Alka Sankhla
Publisher: Dipchand Sankhla

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ अनुक्रम म सामायिक ॥ मंत्र............ - सामायिक. ...१-१४ सामायिक, सामायिक उद्भव, अर्थ, अर्हता, सामायिक के ३२ दोष, सामायिक का फल ...१५-२० मंत्र, अर्थ, निष्पत्तियां, मंत्र का प्रभाव और प्रयोग नमस्कार महामंत्र, ...२१-३२ नमस्कार मंत्र, स्वरूप, जाप कब करना, जाप प्रकार और विधियां, नमस्कार महामंत्र की विशेषताएं - चतुर्विंशतिस्तव. ...३३-३४ - मंगलभावना. .३५-३६ . प्रेक्षाध्यान .३७-४२ कार्योत्सर्ग, अन्तर्यात्रा, श्वाँसप्रेक्षा, ज्योतिकेन्द्र . वंदना - संवर. - अभिनव सामायिक... - आधुनिक सामायिक.... .......................५०-६१ .स्वाध्याय .६२-६९ - धार्मिक परीक्षाबोर्ड अहमदनगर....................७०-७१ - तेरापंथ धर्मसंघ.....................................७२-७४ सामायिक जैनों की आध्यात्मिक क्रियाओं का एक अंग है। जिसकी आराधना आवश्यक माना जाता है। सामायिक की साधना बहुत पवित्र साधना है। भगवान महावीर को यदि पूछा जाए कि, जैन धर्म की साधना क्या है ? तो इसका एक शब्द में उत्तर होगा, सामायिक।सामायिक समता की साधना है। 'समया धम्म मुदाहरे मुणी' समता जीवन की सहज स्थिति है। गुरुदेव तुलसी ने सहज भाषा में समझाया है- “सामायिक में व्यक्ति एक मुहूर्त के लिए साधू सा बन जाता है।सामायिक साधू बनने का प्रयास है।सामायिक का मतलब है एक मुहूर्त के लिए पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग और समता की साधना। सांसारिक परिग्रह आदि झंझटों से मुक्त रहना। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने सही फरमाया है, जो करते है, पता ही नहीं क्या कर रहे हैं, तो स्थिति उस तोते सी होगी, जो सीखा था और रोज कहता था - "अफीम खाना मना है" उसका अर्थ नहीं जानता था, इसलिए अफीम के डोडे पर चोंच मारता हुआ कहता ही रहता है – “अफीम खाना मना है। ऐसे तोते की रटन जैसी सामायिक नहीं होनी चाहिए। युवाचार्य महाश्रमणजी कहते हैं – “सामायिक में श्रावक राग-द्वेषात्मक प्रवृत्ति से विरत रहने की साधना, समता की साधना करता है। 'समता' यानि अपने आप में रहने का अभ्यास, बाह्य विषयों से विरति और स्व में रहने का अभ्यास ही सामायिक है। सामायिक में साधना का प्रयोग करना, स्वाध्याय करना, आत्मनिरीक्षण, आत्मपरीक्षण करना।'' इस प्रकार सामायिक की साधना शान्ति और मानसिक संतुलन की साधना है, कषाय मुक्ति की साधना है। प्रतिदिन हजारों लोग सामायिक करते भी हैं। क्या सामायिक को विस्तार से जानना, समझना और फिर करना उपयुक्त नहीं होगा? सामायिक करने वाले हजारों है. उनके जीवन में सामायिक का अपेक्षित प्रभाव, परिणाम दिखता नहीं है। अधिकांश लोग सामायिक करते हैं, पर ध्यान नहीं देते, क्या कर रहे हैं? नि अमा । जितरागं जिलोखं, केवलयुग्मसंयुतम्। व शिवसंपन्न, तारजान नमाम्यहम्॥ बन अहान, केकालदर्शन और नया शक्ति से सम्मान है। म उस शुजा आरमा को नमस्कार कसता जिसने साग-द्वेष को जीत लिया है

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49