Book Title: Bane Arham
Author(s): Alka Sankhla
Publisher: Dipchand Sankhla

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Page 49
________________ दुमपत्तए पंडुयए जहा निवडइ राइगणाण अच्चए एवं मनुयाण जीवियं समयं गोयम! मा पमायए KEYमो उपन्याया 'वामी सिद्धागा मोमध्यमाह Fधामो अरिहना पामो आयरिया *पामो न्यायासा शा . चरित्र सन्ध अहिंसा अचार्य अपरिग्रह रात्रियां बीतने पर वृक्ष पर पका हुआ पत्ता जिस प्रकार गिर जाता है, उसी प्रकार मनुष्य का जीवन एक दिन समाप्त हो जाता है। इसीलिए, हे गौतम! तू क्षण भर भी प्रमाद मत कर।

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