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2. कायोत्सर्ग
ध्यान की प्रथम अवस्था कायोत्सर्ग है, जिसमें हम स्वयं के प्रति जागृत रहते हुए तनाव मुक्त रह सकते हैं । कायोत्सर्ग करने के लिए शरीर को सीधा, स्थिर, आरामदायक मुद्रा में तथा तनाव रहित रखें। रीढ़ की हड्डी व गर्दन सीधी हो शरीर की सारी मांसपेशियों को तनाव मुक्त रखें। शरीर को इसी मुद्रा में कम से कम 5 मिनट रखें। शरीर पूर्णतः स्थिर व गतिहीन होना चाहिए कायोत्सर्ग के दो लाभ हैं 1 पूर्ण शारीरिक विश्राम एवं 2. स्व जागृति ।
पूर्ण विश्राम की अवस्था को प्राप्त करने के लिए मानसिक रूप से, स्वयं के शरीर को कई भागों में बाट लें और अपने मन को, एक एक करके हर भाग पर एकाग्र करें अनुभव करें कि हर मांसपेशी, हर शिरा एवं धमनी विश्राम अवस्था में आ रही है
1. इसी तरह पूरा शरीर विश्राम मुद्रा में है। पूर्णत: एकाग्र रहें व पूर्णतः जाग्रत भी ।
3. ध्यान
हिंसा के मूल कारणों में से तनाव एक मुख्य कारण है । प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अहिंसा आवश्यक है। हिंसा की जड़े बड़ी गहरी हैं जिनका समूल विनाश करना कठिन है पर असंभव नहीं । हिंसक प्रवृत्तियों के विनाश का उत्तम तरीका है ध्यान ।
हिंसक प्रवृत्ति का सीधा संबंध तनाव से हैं। तनाव की अनुपस्थिति में हिंसा नहीं हो सकती। एक तनाव मुक्त व्यक्ति हिंसक नहीं हो सकता। जब मांसपेशियां व मन तनाव पूर्ण हो तब भावनाएं भी तनाव युक्त हो जाती हैं। हिंसा इसी का प्राकृतिक उत्पाद है।
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तनाव के दो प्रकार हैं - एक वह जो अभिमान व लोभ से पैदा होता है, दूसरा वह जो पराजय व निराशा से पैदा होता है। हर प्रकार का तनाव हिंसा को उत्पन्न करता है। तनाव को दूर करने का तरीका है ध्यान की कई विधियाँ हैं जैसे- कायोत्सर्ग जिसमें शरीर को स्थिर रखकर ध्यान किया जाता है, और अनुप्रेक्षा जिसमें गहरी श्वांस लेकर उसे धीरे धीरे छोड़ा जाता है। कायोत्सर्ग से शारीरिक तनाव दूर होता है, अनुप्रेक्षा से मानसिक । ध्यान की अन्य विधियाँ जैसे इंद्रियसंयममुद्रा, ज्योतिकेन्द्रप्रेक्षा, अनित्य अनुप्रेक्षा, अन्देकत्व अनुप्रेक्षा आदि हैं जो विशेष प्रकार के तनावों को दूर करने के लिए है।
उपरोक्त विधियों हजारों वर्षों से लोगों को लाभ पहुँचाती रही हैं। मनोविज्ञान में आ रही नई विधाएँ जैसे Humanistic Psychology and Transpersonal Psychology उन विधियों का विरोध न करके इनके समर्थन में झुकती नजर आ रही हैं।
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अर्हत् वचन, 23 (4), 2011