Book Title: Arhat Vachan 2011 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 82
________________ अर्हत वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर टिप्पणी -3 मुड़वारा तहसील जिला कटनी की जैन प्रतिमाएं -नरेश कुमार पाठक* मध्य प्रदेश के महाकौशल अंचल में मुड़वारा तहसील कटनी जिले में स्थित है। यह तहसील 23°23 से 23°59' उत्तरी अक्षांस एवं 80°15 से 80°31' पूर्वी देशान्तर पर अवस्थित है। जानकारी के अनुसार मुड़वारा तहसील के प्राचीन निवासी पुरा पाषाणकालीन मानव थे। घुघरा से लघु पाषाण उपकरण एवं झिझरी से चित्रित शैलाश्रय मिले हैं । इस क्षेत्र में मौर्य, शुंग, सातवाहनों का प्रभाव रहा, गुप्त-कालीन मंदिर डिठवारा से मिला है। कलचुरिकालीन अवशेष इस क्षेत्र से विपुल मात्रा में मिले हैं। माह दिसम्बर 2010 में मुझे मुड़वारा तहसील के सर्वेक्षण में जोवी कला से तीर्थकर आदिनाथ, कन्हवारा से जैन प्रतिमा पादपीठ एवं तीर्थकर आदिनाथ, पिपरहट से गोमेध-अम्बिका एवं खमतरा से तीर्थकर सम्मवनाथ की प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं ये सभी प्रतिमाएं लगभग 10वीं 11वीं राती ईस्वी की हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है : आदिनाथ- प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की यह प्रतिमा जोवीकला से प्राप्त हुई है। तीर्थकर का कमर से ऊपर का भाग प्राप्त है। तीर्थकर के दोनों हाथ टूटे हैं । सिर पर कुन्तलित केश, जिनके लम्बे केश कंधे तक फैले हुये हैं। इस आधार पर प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की हो सकती है। वक्ष पर श्री वत्स का अंकन है। बलुआ पत्थर पर निर्मित 35 x 20X10 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 11 वी शती ईस्वी की है। आदिनाथ- प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की प्रतिमा कन्हवारा से प्राप्त हुई है। कायोत्सर्ग मुद्रा में अंकित है, सिर व पैर नीचे से टूटे हुये हैं। कंधे पर फैले हुये केशों से प्रतीत होता है , कि प्रतिमा तीर्थंकर आदिनाथ की रही होगी, वक्ष पर श्रीवत्स चिन्ह है, पार्श्व में बायीं ओर कायोत्सर्ग में जिन प्रतिमा खड़ी है, जो कुन्तलित केश, लम्बे कर्ण चाप एवं वक्ष पर श्रीवत्स का अंकन है। बलुआ पत्थर पर निर्भित 45x40 x20 से.मी. आकार की प्रतिमा लगभग 11 वी शती इस्वी की है। सम्भवनाथ - तीसरे तीर्थकर सम्भवनाथ की यह प्रतिमा खमतरा गांव के हनुमान के नाम से पूजते है जिस पर सिन्दूर का लेपन कर दिया गया है। कार्यात्सर्ग मुद्रा में अंकित तीर्थकंर के सिर पर कुन्तलित केश, लम्बे कर्णचाप है। वक्ष पर श्रीवत्स का अंकन है। पादपीठ पर दोनों ओर चँवरधारी खड़े हैं, जो एक हाथ में चंवर लिये है। दोनो मुकुट, कुण्डल, हार, केयूर, बलय, मेखला व नूपुर पहने हैं। पार्श्व में दोनों ओर खण्डित अवस्था में पूजक है। पादपीठ अर्हत् वचन, 23 (4), 2011 81

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