Book Title: Arhat Vachan 1999 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 50
________________ कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार श्री दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट, इन्दौर द्वारा जैन साहित्य के सृजन, अध्ययन, अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के अन्तर्गत रुपये 25,000 = 00 का कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतिवर्ष देने का निर्णय 1992 में लिया गया था। इसके अन्तर्गत नगद राशि के अतिरिक्त लेखक को प्रशस्ति पत्र. स्मृति चिन्ह, शाल, श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया जाता है। पूर्व वर्षों की भांति वर्ष 1998 के पुरस्कार हेतु विज्ञान की किसी एक विधा यथा गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान, प्राणि विज्ञान, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान आदि के क्षेत्रों में जैनाचार्यों के योगदान को समग्र रूप में रेखांकित करने वाली 1994 - 98 के मध्य प्रकाशित अथवा अप्रकाशित हिन्दी / अंग्रेजी में लिखित मौलिक कृतियाँ 28.02.1999 तक सादर आमंत्रित की गई थी। प्राप्त प्रविष्टियों का मूल्यांकन कार्य प्रगति पर है। निर्णय की घोषणा सितम्बर 99 में की जायेगी। वर्ष 1999 के पुरस्कार हेत जैनधर्म की किसी भी विधा पर लिखित अद्यतन अप्रकाशित मौलिक एकल कृति 31.12.99 तक आमंत्रित है। प्रविष्टियों हेत निर्धारित आवेदन पत्र एवं नियमावली कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं। ज्ञानोदय पुरस्कार - 98 श्रीमती शांतादेवी रतनलालजी बोबरा की स्मृति में श्री सूरजमलजी बोबरा, इन्दौर द्वारा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के माध्यम से ज्ञानोदय पुरस्कर की स्थापना 1998 से की गई है। यह सर्वविदित तथ्य है कि दर्शन एवं साहित्य की अपेक्षा इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में मौलिक शोध की मात्रा अल्प रहती है। फलत: यह पुरस्कार जैन इतिहास के क्षेत्र में मौलिक शोध को समर्पित किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष जैन इतिहास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र/पुस्तक प्रस्तुत करने वाले विद्वान को रु. 5,001 = 00 की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र, शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया जायेगा। - 1994-98 की अवधि में प्रकाशित अथवा अप्रकाशित जैन इतिहास / पुरातत्व विषयक मौलिक शोधपूर्ण लेख/पुस्तक के आमंत्रण की प्रतिक्रिया में 31.12.98 तक हमें 6 प्रविष्ठियाँ प्राप्त हुई। इनका मूल्यांकन प्रो. सी. के. तिवारी, से.नि. प्राध्यापक - इतिहास, प्रो. जे.सी. उपाध्याय, प्राध्यापक - इतिहास एवं श्री सूरजमल बोबरा के त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल की अनुशंसा पर श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल, अध्यक्ष - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ ने ज्ञानोदय पुरस्कार - 98 की निम्नवत् घोषणा की है - डॉ. शैलेन्द्र रस्तोगी, पूर्व निदेशक - रामकथा संग्रहालय (उ.प्र. सरकार का संग्रहालय), अयोध्या, निवास - 223/10, रस्तोगी टोला, राजा बाजार, लखनऊ। जैनधर्म कला प्राण ऋषभदेव और उनके अभिलेखीय साक्ष्य, अप्रकाशित पुस्तक। डॉ. रस्तोगी को कन्दकन्द ज्ञानपीठ द्वारा नवम्बर/दिसम्बर 99 में आयोजित होने वाले समारोह में इस पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। 1999 के पुरस्कार हेतु 1995 - 99 की अवधि में प्रकाशित / अप्रकाशित मौलिक शोधपूर्ण लेख / पुस्तकें आमंत्रित हैं। प्रस्ताव पत्र का प्रारूप एवं नियमावली कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं। देवकुमारसिंह कासलीवाल डॉ. अनुपम जैन अध्यक्ष मानद सचिव अर्हत् वचन, जुलाई 99

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