Book Title: Arhat Vachan 1999 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 72
________________ सत्श्रुत प्रभावना टूस्ट,भावनगर के सौजन्य से संचालित अप्रकाशित जैन पांइलिपियों के सूचीकरण की योजना का मारमा कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर श्रुत पंचमी वी.नि.सं.2525-18.6.99 समस्त ग्रन्थ भंडारों के प्रबन्धकों एवं ऐसे महानुभाव, जिनके पास प्राचीन पाइलिपियाँ उपलब्ध हैं, से अनुरोध है कि वे निम्नांकित प्रारूप में पांडुलिपियों की जानकारी उपलब्ध कराने का कष्ट करें - भंडार का नाम: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 (1) क्रम संख्या, (2) ग्रंथ संख्या, (3) ग्रंथ का नाम, (4) लेखक का नाम, (5) टीकाकार / प्रतिलिपिकार का नाम, (6) कागज या ताड़पत्र, (7) लिपि और भाषा, (8) गद्य या पद्य, (9) आकार (से.मी. में), (10) पत्र (पृष्ठ) संख्या, प्रत्येक पत्र की पंक्ति संख्या एवं प्रत्येक पंक्ति में सामान्य अक्षर संख्या, (11) पूर्ण अथवा अपूर्ण, (12) स्थिति (जीर्ण, अतिजीर्ण, सामान्य), (13) विशेष जानकारी यदि कोई हो तो (विषय, चित्रकारी आदि की जानकारी) ट्रस्ट की योजनानुसार लगभग एक - एक हजार पांडुलिपियों की जानकारी भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक प्रारूप में तैयार कराकर खण्डश: प्रकाशित की जायेगी। स्वाभाविक रूप से सम्पूर्ण योजना के अन्तर्गत हमें बहुत से खंड प्रकाशित करना होंगे। सर्वप्रथम अमर ग्रंथालय, दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम, इन्दौर में संग्रहीत लगभग 900 पांडुलिपियों का विवरण कम्प्यूटर पर तैयार किया जा रहा है एवं इसके बाद अन्य जैन मन्दिरों में सुरक्षित पांडुलिपियों की जानकारी का कम्प्यूटरीकरण किया जायेगा। विद्वानों के सुझाव एवं सामग्री निम्नांकित पते पर सादर आमंत्रित हैं - जैन पांडुलिपियों के सूचीकरण की परियोजना निवेदक द्वारा-कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, हीरालाल जैन 584, महात्मा गांधी मार्ग, तुकोगंज, अध्यक्ष- श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, इन्दौर - 452001 (म.प्र.) 580, जूनी माणेकवाडी, फोन : 0731-545421, 787790 फैक्स : 0731-787790 भावनगर - 364001 (गुज.) Email : [email protected] फोन : 423207, 511456 70 अर्हत् वचन, जुलाई 99

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