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प्रकाशित जैन साहित्य का सूचीकरण
श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के संयुक्त तत्वावधान में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा संचालित प्रकाशित जैन साहित्य के सूचीकरण की परियोजना का क्रियान्वयन 1 जनवरी 99 से प्रारंभ किया जा चुका है। हमें ज्ञात है कि पूर्व में भी कुछ विद्वानों एवं संस्थाओं ने एतद् विषयक प्रयास किये हैं किन्तु प्रकाशन का कार्य इतनी तीव्र गति से बढ़ा है कि वे प्रयास अब नाकाफी हो गए हैं तथा इस कार्य को बीच में छोड़ देने के कारण परिणाम अधिक उपयोगी न बन सके। हमारी योजना के अनुसार हम इस परियोजना के प्रतिफल इन्टरनेट एवं प्रिन्ट मीडिया द्वारा सर्वसुलभ करायेंगे। मात्र इतना ही नहीं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इस सूची में निरन्तर परिवर्द्धन करता रहेगा एवं जिनवाणी के उपासकों हेतु यह सदैव सुलभ रहेगी। ज्ञानपीठ द्वारा एतदर्थ आधुनिक संगणन केन्द्र (Computer-Centre) की स्थापना की जा चुकी है। हमारा अनुरोध है कि
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1. जिन संस्थाओं ने पूर्व में प्रकाशित जैन साहित्य के सूचीकरण का प्रयास किया है वे अपनी सूचियों की छाया प्रतियां या फ्लापियां उपलब्ध कराने का कष्ट करें। छाया प्रतियां (फोटोकापी) या फ्लापियों का व्यय देय तो रहेगा ही, उनके सहयोग का उल्लेख भी भावी प्रकाशन में किया जाएगा।
2. समस्त ग्रंथ भंडारों / पुस्तकालयों के प्रबंधकों से भी अनुरोध है कि वे अपने संकलनों की परिग्रहण - पंजियों (Accession - Registers) की छायाप्रतियां भी हमें भिजवाने का कष्ट करें। एतदर्थ शुल्क ज्ञानपीठ द्वारा देय होगा । यदि आवश्यकता हो तो हमारे प्रतिनिधि भी आपकी सेवा में उपस्थित हो सकते हैं।
3. जिन विद्वानों / प्रकाशकों ने जैन साहित्य का लेखन / प्रकाशन किया है, उनसे भी निवेदन है कि वे पूर्ण सूची / लेखक / शीर्षक / प्रकाशक / प्रकाशन स्थल / प्रकाशन वर्ष / संस्करण / मूल्य / प्राप्ति स्रोत आदि सूचनाओं सहित हमें शीघ्र भिजवाने का कष्ट करें।
सभी विद्वानों / प्रकाशकों / भंडारों के व्यवस्थापकों / पुस्तकालयाध्यक्षों / संस्थाओं के पदाधिकारियों से इस महत्वाकांक्षी / विस्तृत योजना में सहयोग का विनम्र आग्रह है । डॉ. अनुपम जैन
सचिव- कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ
श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान, नरिया
(कु.) संध्या जैन कार्यकारी परियोजनाधिकारी
• वाराणसी
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को निदेशक / उपनिदेशक की आवश्यकता
श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान, वाराणसी एक प्राचीन तथा प्रतिष्ठित शोध संस्थान है। अपने उच्च स्तरीय कार्यक्रमों तथा प्रकाशनों के द्वारा इस संस्था ने अपनी एक अलग पहचान बना रखी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों के द्वारा स्थापित किये जाने के बाद विद्वत् वर्ग ही इसका संचालन करता रहा है।
संस्थान में एक स्थायी निदेशक / उप निदेशक की आवश्यकता एक लम्बे समय से महसूस की जाती रही है। सेवा निवृत्त प्रोफेसर / प्राध्यापक या विद्वान, जो यह समझते हों कि वे 8-10 वर्ष तक संस्थान में रहकर अध्ययन, अध्यापन, शोधकार्य, प्रकाशन में अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा जो धर्म, दर्शन के कार्यों में अभिरूचि रखते हैं, कृपया डॉ. अशोक जैन, मंत्री श्री गणेश वर्णी दि. जैन संस्थान, 203 /5, सरस्वती कुंज, रूढ़की वि.वि., रूढ़की से सम्पर्क करें। संस्थान के पास काशी हिन्दू वि.वि. की सीमा पर स्थित सुन्दर भवन, आवास की व्यवस्था, पुस्तकालय तथा अन्य मूलभूत सुविधायें मौजूद हैं।
अर्हत् वचन, जुलाई 99
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