Book Title: Aptavani 01 Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 4
________________ ( दादा भगवान फाउन्डेशन के द्वारा प्रकाशित पुस्तकें हिन्दी १. ज्ञानी पुरूष की पहचान १३. प्रतिक्रमण २. सर्व दु:खों से मुक्ति १४. दादा भगवान कौन? ३. कर्म का विज्ञान १५. पैसों का व्यवहार ४. आत्मबोध १६. अंत:करण का स्वरूप ५. मैं कौन हूँ? १७. जगत कर्ता कौन? ६. वर्तमान तीर्थकर श्री सीमंधर स्वामी १८. त्रिमंत्र ७. भूगते उसी की भूल १९. भावना से सुधरे जन्मोजन्म ८. एडजस्ट एवरीव्हेयर २०. पति-पत्नी का दीव्य व्यवहार ९. टकराव टालिए २१. माता-पिता और बच्चों का व्यवहार १०. हुआ सो न्याय २२. समज से प्राप्त ब्रह्मचर्य ११. चिंता २३. आप्तवाणी-१ १२. क्रोध English Adjust Everywhere 17. Money Ahimsa (Non-violence) 18. Noble Use of Money 3. Anger 19. Pratikraman Apatvani-1 20. Pure Love 5. Apatvani-2 21. Right Understanding to Help 6. Apatvani-6 Others 7. Apatvani-9 22. Shree Simandhar Swami 8. Avoid Clashes 23. Spirituality in Speech 9. Celibacy : Brahmcharya 24. The Essence of All Religion 10. Death : Before, During&After...25. The Fault of the Sufferer 11. Flawless Vision 26. The Science of Karma 12. Generation Gap 27. Trimantra 13. Gnani Purush Shri A.M.Patel 28. Whatever has happened is Justice 14. Guru and Disciple 29. Who Am I? 15. Harmony in Marriage 16. Life Without Conflict 30. Worries दादा भगवान फाउन्डेशन के द्वारा गुजराती भाषा में भी ५५ पुस्तकें प्रकाशित हुई है। वेबसाइट www.dadabhagwan.org पर से भी आप ये सभी पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं। दादा भगवान फाउन्डेशन के द्वारा हर महीने हिन्दी, गुजराती तथा अंग्रेजी भाषा में "दादावाणी" मैगेज़ीन प्रकाशित होता है। दादा भगवान कौन? जून १९५८ की एक संध्या का करीब छ: बजे का समय, भीड़ से भरा सूरत शहर का रेल्वे स्टेशन, प्लेटफार्म नं. 3 की बेंच पर बैठे श्री अंबालाल मूलजीभाई पटेल रूपी देहमंदिर में कुदरती रूप से, अक्रम रूप में, कई जन्मों से व्यक्त होने के लिए आतुर 'दादा भगवान' पूर्ण रूप से प्रकट हुए। और कुदरत ने सर्जित किया अध्यात्म का अद्भुत आश्चर्य। एक घण्टे में उनको विश्वदर्शन हुआ। 'मैं कौन? भगवान कौन? जगत कौन चलाता है? कर्म क्या? मुक्ति क्या?' इत्यादि जगत के सारे आध्यात्मिक प्रश्नों के संपूर्ण रहस्य प्रकट हुए। इस तरह कुदरत ने विश्व के सन्मुख एक अद्वितीय पूर्ण दर्शन प्रस्तुत किया और उसके माध्यम बने श्री अंबालाल मूलजीभाई पटेल, गुजरात के चरोतर क्षेत्र के भादरण गाँव के पाटीदार, कान्ट्रेक्ट का व्यवसाय करने वाले, फिर भी पूर्णतया वीतराग पुरुष! ___उन्हें प्राप्ति हुई, उसी प्रकार केवल दो ही घण्टों में अन्य मुमुक्षु जनों को भी वे आत्मज्ञान की प्राप्ति करवाते थे, उनके अद्भुत सिद्ध हए ज्ञानप्रयोग से। उसे अक्रम मार्ग कहा। अक्रम, अर्थात बिना क्रम के, और क्रम अर्थात सीढ़ी दर सीढ़ी, क्रमानुसार ऊपर चढ़ना। अक्रम अर्थात् लिफ्ट मार्ग, शॉर्ट कट! वे स्वयं प्रत्येक को 'दादा भगवान कौन?' का रहस्य बताते हुए कहते थे कि "यह जो आपको दिखाई देते है वे दादा भगवान नहीं है, वे तो 'ए.एम.पटेल' है। हम ज्ञानी पुरुष हैं और भीतर प्रकट हुए हैं, वे 'दादा भगवान' हैं। दादा भगवान तो चौदह लोक के नाथ हैं। वे आप में भी हैं, सभी में हैं। आपमें अव्यक्त रूप में रहे हुए हैं और 'यहाँ' हमारे भीतर संपूर्ण रूप से व्यक्त हुए हैं। दादा भगवान को मैं भी नमस्कार करता हूँ।" _ 'व्यापार में धर्म होना चाहिए, धर्म में व्यापार नहीं', इस सिद्धांत से उन्होंने पूरा जीवन बिताया। जीवन में कभी भी उन्होंने किसी के पास से पैसा नहीं लिया बल्कि अपनी कमाई से भक्तों को यात्रा करवाते थे।Page Navigation
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