Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 123
________________ ११४ अनुसन्धान-६६ पापोपगरण पाली, सूडि, चूलेतरु, कोहाडा, कोडाला, तावडा, पावडा, कोसि, लोहनां शस्त्र अग्नि प्रमुख अन्य लोकने न आपुं । स्वजन कुटुंब पाडोसिने छुटुं तिहा आपवानी जयणा । ए आठमा व्रतनां ५ अतिचार छे, ते टालवानो खप करु । हास्य कंदर्प न दीपाववो १, नेत्रादिक विटचेष्टा न करवी २, असंबद्ध बहु भाषित न बोलवू ३, अधिकरण घणां एकठां करी न राखुं ४, भोगातिरिक्त थोडं जोइई ते घj न लेवू ५ । ए रीते आठमो व्रत पालवानो खप करु इत्यादि । .. __ अथ नवम सामायिक व्रत प्रारभ्यते । तत्र नवमैं सामायिक व्रत - तिहा सामायिक लीधे थकै सामायिकना ३२ दोष मन वचन कायाना मलिने, ते दोष रहित पालवानो खप करु । तिहां मास प्रते प्रतिक्रमणां २ करु । मास प्रतें सामायिक ५ करवा । ते दिन ३० मै एके ओछो दिन थाइ तोय मास एकें पूरा सामायिक करिने पोहचाडुं । ते न पुंहचाइ तो जेटला ओछा रहे तेटला दिन सचित्त तथा घी न खावें । रोगादिकारणे परवसैं अशुचिपणे जयणा । तथा गामान्तर गया मासमां सामायिक ओछां थाइं ५ मां, पण पूरां न पडे तेहनी जयणा । शरीर शुद्धपणे अंतरायरहितपणे मास १मां सामायिक ५ करवां । हवे ए नवमां व्रतमा ५ अतिचार टालवानो खप करु । १. मनदुष्प्रणिधांन २ वचनदुःप्रणिधांन ३ कायदुःप्रणिधान ४ सामायिक काल पुंहता विना पारवू ५ सामायिक शून्यपणे आदर्यु ए पांच अतिचार जा, पिण आदरु नहि । ए रिते नवमुं सामायिक व्रत पालुं ॥ .अथ देशावकाशिक व्रत लिख्यते - दशमे देशावकाशिक शिक्षाव्रते दिन प्रते चौद नियम प्रभाते संभारवानो सांझें संखेपवानो खप करु । तीरछु ४ दिसिविदिसि गाऊ_ऊंचं गाउ_नीचुं गाउ_ए रीतै छठ्ठा व्रतमां मोकलु राख्युं छे ते प्रमाणे इहां । ए व्रत नित्य संभारवें तथा दिशा संखेपी वरसमां २ दिवसनां दिसावसागिक करु । _दशमा व्रतना ५ अतिचार टालवानो खप करु । १. नियम उपरांतथी वस्तु अणाववी नहि, २. नियम उपरांत शब्द न करवो, ३. नियम उपरांत वस्तु मोकलवी नहि, ४. नियम उपरांत पुद्गलनो प्रक्षेप न करवो, [५. नियम उपरांत रूप देखाडवू] ए पांच अतिचार जाणुं, पिण आदरु नहि । ए रीतै

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