Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 170
________________ फेब्रुआरी - २०१५ १६१ ३. 'चूलिकापैशाची' अंगे श्रीहेमचन्द्राचार्ये प्राकृतव्याकरणना चोथा अध्यायना ३२५-३२८ सूत्रोमां चूलिकापैशाची भाषानां लक्षणो जणाव्यां छे. भाषानुं नामकरण ज सूचवे छे तेम आ भाषा पैशाचीनो ज अक उपप्रकार छे. पैशाचीना कैकयपैशाची, शौरसेनपैशाची व. अन्य उपप्रकारोनी जेम आ उपप्रकार कोई प्रदेशविशेष साथे संकळायेलो नथी. तेथी आ भाषा क्या बोलाती हशे ते अंगे विद्वानोमां अवढव जणाय छे. प्राकृत साहित्य का इतिहास (-डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, प्र. चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, ई.स. १९८५)मां पृष्ठ ४० पर आ अंगे आ मुजब टिप्पणी छे : "चूलिक, चूडिक अथवा शूलिकों का नाम तुखार, यवन, पह्लव और चीन के लोगों के साथ गिनाया गया है । बागची के अनुसार यह भाषा सोगडियन लोगों द्वारा उत्तर-पश्चिम में बोली जाती थी।" परन्तु वास्तवमा 'चूलिकापैशाची' कोई प्रदेशविशेष के जातिविशेष साथे जोडायेली भाषा नथी. अना आवा नामाभिधान पाछळनुं कारण तद्दन जुदूं ज छे. खम्भातना श्रीशान्तिनाथ जैन ताडपत्रीय ज्ञानभण्डारमा सिद्धहेम-प्राकृत व्याकरणनी प्राचीन ताडपत्रीय प्रत छे. आ प्रतमां कोईक विद्वाने बहुमूल्य टिप्पणो नोंध्यां छे. जेमां 'चूलिकापैशाची' परनुं टिप्पण आ प्रमाणे छ : "दशरूपके चूलिकानाम प्रकरणम् । तत्र यानि पात्राणि पैशाचिकभाषया भाषन्ते, तेषां पैशाचिकभाषायामिदं लक्षणम् । चूलिकाया: चूलिकारूपं वा पैशाचिकं तत्र ।" . अर्थात् दशरूपकमां 'चूलिका' नामनुं प्रकरण आवे छे. तेमां जे पात्रो पैशाचिक भाषामां बोले छे, तेओनी पैशाचिकभाषामां आ लक्षण छे. चूंलिकानुं के चूलिकारूप पैशाचिक अवो तेनो अर्थ छे. महाकवि धनञ्जयरचित 'दशरूपक मां चूलिका नामनो सन्दर्भ प्रथम प्रकाशना ६१मा श्लोकमां मळे छे. "अन्तर्जवनिकासंस्थैश्चूलिकाऽर्थस्य सूचना". धनिककृत टीकामां आनो अर्थ अम जणावायो छे के "नेपथ्यपात्रेणाऽर्थसूचनं

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