Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 180
________________ फेब्रुआरी - २०१५ १७१ विचारणा करी, तेना विषे तर्क कर्या, ते बधुं ज 'शास्त्रवचन'ने अने 'शास्त्रना ऐदम्पर्य'ने केन्द्रमा राखीने ज कयुं छे. शास्त्र द्वारा समर्थन न सांपडे एवा एक पण तर्कने, ते गमे एटलो श्रेष्ठ लागतो होय तोय, ते महर्षिओए महत्त्व आपेल नथी. शास्त्र-असमर्थित तर्क तो कुतर्क ज बनी रहे, एवी एमनी स्पष्ट समजण होवी जोईए. अमारा द्वारा रजू थती विचारणाओमा अन्तिम सत्य के आखरी मुकाम 'शास्त्रवचन' ज होय छे अने हशे. शास्त्रनिरपेक्ष रीते बौद्धिक क्षयोपशमनी नीपज समा तर्कनी प्ररूपणाने शासनशैली स्वीकारी शके नहि, एवी अमारी नम्र समजण छे.

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