Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 176
________________ फेब्रुआरी- २०१५ आगमोनुं सम्पादन-प्रकाशन आगमोद्धारक श्रीसागरजी म.ए करेलुं छे ते सर्वविदित छे. दे.ला., आगमोदय समिति व संस्थाओ द्वारा प्रकाशित ग्रन्थो महदंशे तेओ द्वारा ज तैयार थयेला छे ते पण बधा जाणे छे. तेमणे पोतानी अल्पताने प्राधान्य आपीने सं तरीके पोतानो नामोल्लेख न कर्यो होय, तोये पोते लखेल प्रस्तावनामां तेमणे पोतानुं नाम निर्देशेलुं होय ज छे. १६७ आजना आगमोना अभ्यासु जनो आगमोद्धारकजीनां सम्पादनो वांचीभणीने, मोटाभागे, तैयार थया होय छे. तेओने ख्यालमां होय ज के आना सम्पादक कोण छे. सामान्य सौजन्य के कृतज्ञतानो के छेवटे व्यवहारनो पण तकाजो ए छे के ते व्यक्तिए भले पोते नाम न लख्युं, पण पुनः मुद्रके क्यांक ने क्यांक तेमनो नामोल्लेख करवो ते औचित्यपूर्ण गणाय. आ पुनर्मुद्रकोए पोतानां, दाताओनां, प्रेरकना तथा गुरुजनोनां नामो, प्रशस्तिओ वगेरे विगतवार छाप्युं, पण पेलुं नाम 'मूळ प्रकाशनमां नाम न होवाथी अमे न लख्युं' एम विचारीने- कहीने टाळ्युं. आ अमने न जच्युं, तो अमे ते मुद्दे टिप्पणी लखी. तेथी ते पुनः मुद्रक महाराजश्रीने माटुं लागेल, तो ते मुद्दे 'मिच्छामि दुक्कडं 'नो पत्र पण पाठव्यो. परन्तु तेमां पण, तेमनो पोताना प्रकाशनमां करेलो दावो "आवश्यकसंशोधनपुरस्सरम्", ते तद्दन खोटो होवानुं सूचन तो अमे कयुं ज हतुं. नामोल्लेख करवा जेटली उदारतानी अपेक्षा भले न राखीए, पण जेमां जरा पण संशोधन-सुधारा कर्या ज न होय, प्रूफनी भूलो समेत बधुं यथावत् फोटोस्टेट द्वारा छपाव्युं होय, ते माटे आवो दावो थाय ते केम मान्य बने ? आ मुद्दे सागर-समुदायना आ. नयचन्द्रसागरजीए छपावेला शब्दो जोवा योग्य छे : सागरजी म. द्वारा महामहेनते सम्पादित प्रतोने आजनी वगर महेनतनी ओफसेट पद्धति द्वारा छपावी पूज्यपाद सागरजी म. के पूज्यश्रीनी प्रेरणा द्वारा स्थापित (प्रकाशक) संस्थाने ( श्रीजिनशासन आराधना ट्रस्ट द्वारा पुनःप्रकाशित ग्रन्थो) सदंतर भूली गया छे. अभ्यासुने उपयोगी उपोद्घात, ग्रन्थपरिचय, प्रस्तावना, अनुक्रमणिका विगेरे काढी नाखेल छे." 44 4 आटली स्पष्टता पर्याप्त जणाय छे, अने 'बेजवाबदार' कोने गणाय ते हवे स्वयंस्पष्ट थई जाय छे. बत्रीशीनी उपरोक्त चोपडीमां छेल्ले 'एक विशेष वात' एवा शीर्षकमां

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