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अनुसन्धान-६६
वह भूतकालीन राजा का वाचक होता है तो कभी वह वर्तमान में शासन करने वाले पात्र का वाचक होता है । निक्षेप का सिद्धान्त हमें यह बताता है कि हमें किसी शब्द के वाच्यार्थ का निर्धारण उसके कथन-प्रसङ्ग के अनुरूप ही करना चाहिए । अन्यथा अर्थबोध में अनर्थ होने की सम्भावना बनी रहेगी । निक्षेप का सिद्धान्त शब्द के वाच्यार्थ के सम्यक् निर्धारण का सिद्धान्त है, जो कि जैन दार्शनिकों की अपनी एक विशेषता है। ..
Clo. प्राच्य विद्यापीठ, - शाजापुर (म.प्र.)
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