Book Title: Anusandhan 2015 03 SrNo 66
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 144
________________ फेब्रुआरी - २०१५ 'कज्जमाणे कडें मां नयसम्मति CHASS १३५ मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय 'कज्जमाणे कडे' (क्रियमाणं कृतम्) आ वात कया नयने सम्मत होइ शके ते विशे अत्रे विचारणा करवानो उपक्रम छे. आ सिद्धान्तना जमालिओ करेला अपलापनी कथा तो प्रसिद्ध ज छे, ' तेथी ते अंगे वधु न लखतां सीधी नयविचारणा ज करीओ. निश्चयनयनी अपेक्षाओ कोईपण क्रिया क्षणिक ज होय छे. मतलब के क्रियामात्र क्षणवारमां उत्पन्न थई, पोतानुं कार्य पेदा करीने, ते ज क्षणे नाश पामी जाय छे. बे के तेथी वधु क्षणो सुधी ओक ज क्रिया प्रवर्ते, ते आ नयना मते शक्य ज नथी. आपणे जे क्रियाने दीर्घकालिक समजीओ छीओ, ते वास्तवमां अनेक क्षणिक क्रियाओनो समूह ज होय छे. आपणी दृष्टिनी स्थूलताने लीधे आपणे अ समूहगत क्रियाओने अलग-अलग नथी जोई शकता, अने तेथी आपणे ओ क्रियासमूहने ओक ज क्रिया गणी लईओ छीओ. अटलुं ज नहीं, ओ दरेक क्षणिक क्रियाथी जन्य फळ पण जुदुं जुदुं ज होय छे. पण आपणे ओटलुं सूक्ष्म नथी समजी शकता अने ओटले ज आपणे घणी बधी क्षणिक क्रियाओ पछीनी क्षणिक क्रियाथी जन्य जे कार्य आपणी स्थूल दृष्टिमां जणाय, तेने ज ते तमाम क्षणिक क्रियाओनुं कार्य गणी लईओ छीओ. आ वातने ओक उदाहरण द्वारा समजीओ : ओक कुम्भार घडो बनावी रह्यो छे. तेनी आ घटोत्पादन प्रक्रियानो आरम्भ तेणे माटीनो पिण्ड़ लईने चाकडे मूक्यो ओने गणीओ अने समाप्ति घडानी निष्पत्तिने समजीओ तो आ बे आरम्भबिन्दु अने समाप्तिबिन्दु वच्चे घणो लांबो काळ व्यतीत थाय छे. आ तमाम काळं आपणी स्थूल दृष्टि घटनिष्पादननो काळ छे, केमके आपणे घडाने ज आ समग्र क्रियाकलापना फळ तरीके गणी लीधो छे. परन्तु जो आपणे थोडीक काळजी राखीने तपासीशुं तो जणाशे के आ क्रियानी प्रत्येक क्षणे माटीनो पिण्ड बदलातो रह्यो छे. ते पिण्ड वच्चे अमुक क्षणो सुधी

Loading...

Page Navigation
1 ... 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182