Book Title: Anusandhan 2005 02 SrNo 31 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ मूर्तिपूजा-प्रतिवादक बे लघु रचनाओ ॥ कर्ताः आ. विजय उदयसूरि ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि आ. श्रीविजयोदयसूरि महाराज ए वीसमा शतकना प्रभावक जैनाचार्य श्रीमद् विजयनेमिसूरीश्वरजीना पट्टशिष्य हता. तेमना निर्मल चारित्र जेवू ज तेमर्नु अगाध ज्ञान हतुं. तेमणे अनेक ग्रन्थो रचेला छे, जे महदंशे मुद्रित छे. तेमनी बे लघु रचनाओ हजी अप्रगट रही छे, ते अहीं प्रकट करवामां आवी रही छे. बन्ने रचनाओनो विषय मूर्तिपूजा छे. वीसमा शतकमां जैन धर्मना मूर्तिपूजक वर्ग अने मूर्तिनिषेधक वर्ग-ए बे वर्गो वच्चे खासा संघर्षों चालता हता. 'मूर्ति न जोईए, अने मूर्तिनी पूजाथी कोई लाभ तो न ज थाय, ऊलटुं, ते अधर्म छे, मोक्षमार्ग विरोधी छे, जैन सिद्धान्तथी विपरीत छे,- आवां प्रतिपादनो उग्रतापूर्वक थतां, अने बाल के मुग्ध जीवो ते वातोमां तणाई पण जतां ज. तेनो प्रतिवाद करवा माटे घणा विद्वानोए घणा ग्रन्थो-पुस्तको-लेखो लख्या छे अने मूर्ति तेमज मूर्तिपूजानी योग्यता शास्त्र, आगम तथा तर्कना आधारे पुरवार करी छे. ते प्रकारनो ज एक प्रयास आ बे कृतिओमां पण थयो छे. प्रथम रचनानुं नाम छे 'मूर्तिपूजायुक्तिबिन्दु'. आमां आगमो तथा शास्त्रग्रन्थोनां प्रमाणो टांकीने मूर्तिपूजा ए अधर्म-असंयम नहि, पण १२ व्रतोनी आराधनारूप छे, ते पुरवार करती युक्तिओ आपवामां आवी छे. एकंदरे आ रचना धर्मानुष्ठानप्रेमी वर्गने तेमज तर्कप्रेमी वर्गने एम उभय वर्गने रुचिकर बनी रहे तेवी छे. ___ बीजी रचना छे 'मूर्तिमन्तव्यमीमांसा'. आमां थोडीक इतिहासआधारित चर्चा थई छे. मूर्तिपूजानो सर्वप्रथम निषेध क्यारे थयो ? कोणे कर्यो ? तेम करवा पाछळनां कारण कयां ? - आ बधा सवालो विषे प्राथमिक गणी शकाय तेवी चर्चा छे. ते चर्चाने विमर्शात्मक चर्चा कही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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