Book Title: Anusandhan 2005 02 SrNo 31
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
26
अनुसन्धान-३१
(जूनागढ) शहेरमां आदिनाथनुं तथा महावीर- एम २ चैत्य हतां तेम नोंध छे (२२४).
३३. हवे संघ पाछो फरे छे. प्रथम जालरसन, पछी धोराजी, त्यां ४ जिनालयो होय तेम जणाय छे (२२५-२६). त्यांथी कनोडाः त्यां आदिनाथजी (२२८); त्यांथी बांभणवाडाः त्यां देरासर नथी (२२८); त्यांथी कालावड, मतबागाम थई जामनगर (२२९), त्यां तो अनेक मन्दिरो छे. त्यांथी धुंवार (२३१), त्यां सुपार्श्वनाथजी (२३२); त्यांथी फलां गामे; त्यांथी धोल : त्यां शान्तिनाथजी (२३३); त्यांथी लतीपर, त्यां पार्श्वनाथ प्रभु छे, पण ते परोणागत छे, अने मुहूर्त आवे पछी प्रतिष्ठा थवानी छे तेम कर्ता नोंधे छे (२३३). त्यांथी टंकारियाः त्यां पार्श्वप्रभु छे, पण प्रवेशविधि बाकी छे (२३४); त्यांथी मोरबी (२३४); त्यांथी मातक अने त्यांथी सरा गाम : त्यां चन्द्रप्रभुजी बिराजता हता (२३६).
३४. कविए लख्युं के अहीं सोरठदेश पूरो थयो, ने संघ हवे वढवाण आव्यो (२३७). आ 'सोरठ' एटले समग्र सौराष्ट्रना ४ विभागो पैकी सोरठ नामे एक विभाग - एक समजवानुं रहे छे. वढवाणमां पांच गभारानुं शामळा पार्श्वनाथनुं देरासर छे (२३७). त्यांथी त्रण विसामा (पडावो) करीने संघ (चोथे पडावे) साणंद पहोंच्यो छे (२३७). अने त्यां अमदावादथी घणां लोको-सगां-स्वजनो मळवा आव्यां होवानुं कर्ता नोंधे छे (२३७).
३५. ए पछीनो मुकाम शहरमां सारंगपुरे थयो, त्यां महाजन सामुं आव्युं (२४३). फा.शु -३ना संघ- सामैयुं थयु. वरघोडो मांडवीपोळमां समेतशिखरनी पोळे - देरासरे उतारवामां आव्यो (२४८-४९). आ उपरथी एम लागे छे के ते वखतमा संघनां प्रयाण तथा समापन समेतशिखरना देरेथी थतां हशे.
अहीं १२ ढाळोमां संघयात्रानुं वर्णन पूर्ण थाय छे. आ ढाळोमां केटलांक विशेष व्यक्तिनामो छे; जमणवार करनारानां नामो पण छे; जमणनी रसोईनुं पण मजानुं वर्णन छे; अने बीजी पण विविध विगतो सुपेरे वर्णवाई छे.
३६. तेरमी ढाळथी बेहेचरभाईए करावेला घरदेरासरनुं तथा तेनी प्रतिष्ठानुं वर्णन शरु थाय छे. देवमन्दिर काष्ठनिर्मित हशे तेवू तेना वर्णनथी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74