Book Title: Anusandhan 2005 02 SrNo 31
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
28
अनुसन्धान- ३१
अन्त-समये सत्यविजयजीने सूरिपद लेवा जणाव्युं, एकठा मळेल संघोए पण खूब मनाव्या, पण तेमणे पदवीने बदले क्रियोद्धार करवानी संमति मागी. ते संमति आपवा छतां साधुगण तो सूरिजीए तेमने ज भळाव्यो, ए ऐतिहासिक घटनानी अहीं सरस नोंध थई छे (क. ३२१-२५).
४६. तेमणे स्वहस्ते विजयप्रभसूरिने गच्छपतिपदे वर्ताव्या, अने पोते गच्छनी निश्रामां रहीने ज संवेगमार्गे संचर्या; तेमणे श्वेतने स्थाने रंगेलां वस्त्रो (संविग्नमार्गसूचक) धारण कर्यां; अने वाचक यशोविजयजी जेवा तेमना पडखे रह्या (क. २२६ - २८). क. २२८ तो यशोविजयजीकृत १२५ गाथाना स्तवनगत आव ज एक कडीनी छायारूप लागे.
४७. आ पछीनी कडीओमां कर्ता पोताना गुरुनी पाटपरम्परा दर्शावे छे. तेमां पोताना गुरु पं. वीरविजयजी (शुभवीर) प्रत्येनुं पोतानुं बहुमान तेओ बुलंद अवाजे रजू करे छे, जे खरेखर ध्यानार्ह छे (क. ३३३-३४). प्रान्ते पोते सं. १९२७ना अषाड वदि सातमने रविवारे आ ढाळियां रच्यां होवानुं जणावी पूर्ण करे छे (३४०).
४८. पुष्पिकामां लेखक मोतीचंदे राजनग्र (नगर) मां प्रति लख्यानो निर्देश छे, छतां लेखन - वर्ष नथी लख्युं, ते नोंधवुं जोईए.
४९. एक महत्त्वनी वात ए के क. २८मां 'राणि विक्टोरिया राजे' एवी नोंध कविए करी छे ते, जे सरकारमा, संघवी बेहेचर भाई शिरस्तेदारअधिकारी हता, तेना प्रत्येनी तेमनी वफादारीनी सूचक छे, तो साथे साथे, आ संघ थयो त्यारे भारत पर कम्पनी सरकारनुं नहि, पण राणीनुं (अने अंग्रेज सरकारनुं) राज हतुं तेवा इतिहासनी पण सूचक छे.
५०. आ ढाळियांनी प्रतिनी जेरोक्स परथी तेनी सुवाच्य नकल करी आपवा बदल भाई चेतन भोजकनो, तेमज प्रतिनी नकल आपवा बदल श्री प्राच्य विद्या भवनना तत्कालीन कार्यवाहकोनो आभार मानुं छं.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
.
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74