Book Title: Anusandhan 2005 02 SrNo 31
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 47
________________ अनुसन्धान-३१ ६२ सांमिवछल धनपति किद्धो रे । सिरो पूरि जमण जस लिद्धो रे । नोकारसि करे बेहेचरभाइ रे । वद(सुद)सातमे करत सवाई ।भा|१५|| ६३ रथजात्रा आणंदकारि रे । करे पूजा नवाणुं-प्रकारि रे । द्रव्य भावे सुरपरे जादी रे । गावे टोलि अमदावादी ।भा।१६।। ६४ दसम सामीवछल खास रे । गोकल परसोतमदास रे । संघमाल पेहरे दोय भेला रे । संघ उतरियो तेणि वेला ।भा॥१७॥ ६५ सांमि-भगति बारस दिन थावे रे । बेहेचर सीवचंद नांम धरावे रे। बारव्रतनी पुजा भणावे रे । राते मंगल छेलो वधावे ।भा॥१८॥ ६६ तेरस दिन जात्रा पूरी रे । मन मंदिर हूंस अधुरि रे । हवें क्यारे विमलगिरि मलस्यूं रे । जई गिरनारे नेमस्यूं हलस्यूं भा॥१९॥ ६७ शुभविरनो सेवक पाछो वलियो रे । अमदावाद संघमा भलियो रे । अंतराय करम बहू बलीओ रे । तेथी सेवक थयो मन गलियो भा॥२०॥ ।ढाल॥९॥ (श्रीअनंतजिनसुं करो साहेलडीयो ॥ओ देशी।।) ६८ संघवि संघ लेइ उतर्या ।सुंणो संताजी ॥आव्या निज नीज ठांम।। गुणवंता[जी] ॥ओ देशी। विमलाचल गुंण गावतां ।सुं। सिध्या वंछित काम ||गुं॥१॥ ६९ कांमनिओ कहे कंतने ।सुं। आज सफल सुविहांण |गुं। घर मुंक्या दूख विसर्यां । सुं । न गमे घर मंडाण ||गुं।।२।। ७० वसंतरुत आगल देखी ।सुं। विसरियो संसार ।गुं। लय लागि प्रभु नामनि ।सुं। मोटो ओ आधार |गुं|३|| ७१ नामे निरमल आतमा । सुं। जोतां नयणे नेह |गुं। सेनूंजी जल झीलतां ।सुं। थामे निरमल देह ।गुं॥४॥ ७२ पांणि निरमल गंगाना ।सुं। पुंन्य तणि परनाल |गुं। आदेसर पदपंकजे । सुं। जांणे करवा पखाल ।गुं॥५॥ ७३ स्वर्गथी गंगा उतरि ।सुं। संघवि हरि-अवतार ।गुं। देव देवी परिवारमा ।सुं। संघ तणि नरनार्य |गुं।६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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