Book Title: Anusandhan 2005 02 SrNo 31
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-३१
आर्यसमाजिनः ब्रह्मप्रार्थनासमाजिनः
सर्वसंख्या
सार्द्ध द्विलक्षे (२५००००)
सार्धानि पञ्चसहस्राणि (५५००) चत्वारिंशत्कोटयो द्विषष्टिलक्षाः पञ्चपञ्चाशत्सहस्राः
पञ्चशतानि (४०६२५५५००)
तदेवं मूर्तिमन्तव्यमीमांसेयं मयोदिता । नेमिसूरिप्रसादेन, विजयोदयसूरिणा ॥१॥ यर्जितं मया पुण्यं, मूर्तिमन्तव्यवर्णनात् । तेन पुण्येन भव्यानां, मूर्तिर्मान्या भवत्वलम् ॥२॥
इति ॥ मूर्तिमन्तव्यमीमांसा सम्पूर्णा ॥श्रीः।।
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