Book Title: Anekant 2011 Book 64 Ank 01 to 04 Author(s): Jaikumar Jain Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 3
________________ मुनिवर-स्तुति वे मुनिवर कब मिलि हैं? उपकारी । साधु दिगम्बर, नगन निरम्बर, संवर भूषण धारी। वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी। कंचन कांच बराबर जिनके ज्यों रिपु त्यों हितकारी, महल, मसान, मरण अरु जीवन सम गरिमा अरु गांरी। वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी। सम्यग्ज्ञान प्रधान पवन बल तप पावक परजारी, शोधत जीव सुवर्ण सदा जो, काय-कारिमा टारी। वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी। जो युगल कर भूधर विनवे तिन पद धोक हमारी भाग उदय दरसन जब पाऊँ ता दिन की बलिहारी। वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी। - पं.भूधरदास जीPage Navigation
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