Book Title: Anekant 2009 Book 62 Ank 03 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 49
________________ अनेकान्त 62/3, जुलाई - सितम्बर 2009 27. वैशम्पायनसहस्रनाम 28. महिम्नस्तोत्र(दुर्वासाकृत) - 204 29. रुद्रयामलतन्त्र - 205 34. मीमांसा-दर्शन 35. जैमिनीय-शास्त्र 36. चार्वाक-दर्शन - 192 - 193 - 196 39. वि. वि. - 193,194 20. गीता - 150,181,369 21. अवतारवाद - 162 22. योगशास्त्र - 167 23. योगवाशिष्ठ भारतीय दर्शन शास्त्र - 30. वेदान्त परीक्षा - 181 31. सांख्य-कारिका - 182 32. न्यायदर्शन - 185 33. वैशेषिक-दर्शन - 188 इस्लाम 37. कुरानशरीफ - 196 बौद्ध-ग्रंथ - 38. अभिधर्मकोष - 193, 194 श्वेताम्बर-जैन-ग्रंथ 40. आचारांग-सूत्र - 212 41. भगवती-सूत्र - 237 42. उत्तराध्ययन-सूत्र - 223 43. जीवाजीवाभिगम - 288 दिगम्बर जैन ग्रंथ - 48. षट्पाहुड - 262,266-68 49. पंचास्तिकाय - 326 50. प्रवचनसार - 33, 272,344 51. रयणसार - 277 52. धवल-ग्रंथ - 387 53. जयधवल-ग्रंथ - 488 54. परमात्म-प्रकाश - 269 55. श्रावकाचार योगीन्द्रदेवकृत- 350 56. गोमटसार - 319, 387 57. लब्धिसार - 385 58. क्षपणासार - 385 59. रत्नकरण्ड श्रावकाचार - 394 44. वृहत्कल्पसूत्र - 223 45. उपदेश सिद्धांत रत्नमाला-260,264 46. संघपट्ट - 265 47. ढूंढारी पंथ -232 60. बृहत्सवयम्भू स्तोत्र 61. ज्ञानार्णव - 439 62. धर्म- परीक्षा __- 399 63. सूक्ति - मुक्तावली - 413 64. आत्मानुशासन - 24,81,269 65. तत्त्वार्थसूत्र - 310,329,338 66. समयसार-कलश - 286, 287 67. नाटक-समयसार - 305 68. पद्मान पच्चीसी - 295 69. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय - 372 70. आयुर्वेद के ग्रंथ- 412,413, 439, 443 71. पाहुडदोहा - 24,25 मोक्षमार्ग प्रकाशक वस्तुतः एक विशाल अमृत-कलश है। उसका एक-एक विषय सरस एवं मधुर है। जिस प्रकार “रामचरितमानस" में सुखी-दुखी, गरीब-धनवान, भाई-बहन, पति-पत्नी, माता-पिता, शत्रु-मित्र, रिश्तेदार आदि सभी प्राणी अपनी-अपनी

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