Book Title: Anekant 2009 Book 62 Ank 03 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 192
________________ 96 अनेकान्त 62/4, अक्टूबर-दिसम्बर2009 सदी जैन सिद्धांतों की सदी होगी। अभी से महावीर के सिद्धांत अपरिग्रह का प्रचार-प्रसार पश्चिमी देशों में हो रहा है। प्रो. रामजी राय ने बताया कि बिहार के अनेक कालेजों में जैनशास्त्र और प्राकृत भाषा पढाई जा रही है तथा बिहार सरकार द्वारा शीघ्र ही कक्षा 6ठीं से प्राकृत के अध्ययन-अध्यापन का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह का प्रयोग किया जाना चाहिए। इस अवसर पर संस्था उपनिदेशक डॉ. रजनीश शुक्ल, भोगीलाल लेहरचंद प्राच्य विद्या संस्थान, के निदेशक डॉ. बालाजी गड़ोकर एवं प्रो. जे. पी. वेदालंकार, पूर्व विभागाध्यक्ष संस्कृत, हंसराज कालेज दिल्ली भी उपस्थित थे। संस्था भवन में आयोजित आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार स्मृति व्याख्यानमाला में दिनांक 27 दिसम्बर, रविवार को प्रो. रामजी सिंह, भागलपुर विश्वविद्यालय, ने मुख्य वक्ता के रूप में आने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान की। श्री योगेश जैन मंत्री- वीर सेवा मंदिर लेखकों से निवेदन 1. लेख स्वच्छ हस्तलिखित या टंकित मूल लेख की हस्ताक्षरित प्रति ही भेजे, लेख पर अपना पूरा पता, फोन एवं मोबाईल नं., व ईमेल लिखे, भेजने से पूर्व उसकी प्रति अपने पास सुरक्षित रखें। अप्रकाशित निबन्ध लौटाये नहीं जायेंगे। लेख के साथ लेख के मौलिक एवं अप्रकाशित होने का प्रमाण पत्र अवश्य संलग्न करें एवं अनेकान्त में प्रकाशन के निर्णय होने तक अन्यत्र प्रकाशनार्थ न भेजें। अप्रकाशित निबन्ध को ही प्रकाशन में वरीयता दी जायेगी तथा मौलिक एवं मूल | लेख प्रकाशित होने पर ही मानदेय दिया जायेगा। 4. यदि लेख कम्प्यूटर पर टंकित हो तो उसके Font के साथ सी. डी. के रूप में ही भेजे या उसे निम्न E-mail : virsewa@gmail.com पर भी भेज सकते हैं। पुस्तक समीक्षा हेतु पुस्तक की दो प्रतियाँ भेजें तथा संभव हो तो दो पृष्ठों में उस पुस्तक का संक्षिप्त परिचय भी भेजें। स्तरीय तथा महत्त्वपूर्ण प्रकाशनों की ही समीक्षायें प्रकाशित की जायेंगी। लेख में उल्लिखित मूल श्लोकों, गाथाओं, उद्धरणों तथा सभी सन्दर्भो को मूल ग्रन्थ से मिलाकर शुद्ध करके ही भेजें। प्रायः प्रूफ रीडिंग में इनका मिलान आपके प्रेषित लेख की मूल कॉपी से ही संभव होता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के द्वारा जारी नयी पदोन्नति नीति के अनुसार वे ही शोधपत्र पदोन्नति में मान्य होगे जो नंबर से युक्त शोध पत्रिका में प्रकाशित होंगे। अनेकान्त पत्रिका को पेरिस से जारी होने वाले इन्टरनेशनल स्टैण्डर्ड सीरियल नंबर प्राप्त है। विद्वान अपने उच्चस्तरीय शोध आलेख प्रकाशन हेतु भेजे।

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