Book Title: Anekant 1977 Book 30 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 80
________________ Xxx विषयानुक्रमणिका क्र० विषय विषय प्रारम्भिका १६. श्रावस्ती का जन राजा सुहलदेव १. सम्पादकीय-डा. ज्योति प्रसाद जैन -श्री गणेशप्रसाद जैन २. च उवीस तित्थयर भत्ति : (चौबीस तीर्थकरों २०. राजस्थान में मध्ययुगीन जैन प्रतिमायें की भक्ति)-प्राचार्य कुन्दकुन्द -डा० शिवकुमार नामदेव २१. हेमचन्द्राचार्य की साहित्य साधना प्राचार्य श्री 'युगवीर': जीवन और कृतित्व -डा. मोहनलाल मेहता ३. असाधारण प्रतिभा के धनी २२. क्या 'रूपकमाला' नामक रचनाएं अलकार-श्री सुमेरचन्द्र जैन, नई दिल्ली शास्त्र सम्बन्धी है ?-श्री ए. सी. नाहटा ४. सरसावा के सन्त तुम्हे शत शत वन्दन २३. वाचक कुशललाभ के प्रेमाख्यानक काव्य -श्री कुन्दनलाल जैन, दिल्ली -डा. मनमोहन स्वरूप माथुर ५. युगसृष्टा की साहित्य-साधना २४. जैनदर्शन की अनुपम देन : अनेकान्त दृष्टि -श्रीमती जयवन्ती देवी, दिल्ली -श्री श्रीनिवास शास्त्री, कुरुक्षेत्र ६. मेरी भावना-स्व० प्रा० जुगलकिशोर मुख्तार २५ जैन कला : उद्गम और प्रात्मा 'युगवीर' | -डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ ७. सरल स्वभावी महान ग्राराधक २६. प्रशमरतिप्रकरणकार तत्त्वार्थ सूत्र तथा भाष्य --श्री रमाकान्त जैन, लखनऊ के कर्ता से भिन्न-डा0 कुसुम पटोरिया ८. अनुसन्धान के पालोक स्तम्भ २७. भगवान महावीर के उपासक राजा -डा० प्रेमसुमन जैन -मुनि श्री महेन्द्र कुमार (प्रथम) ९. जैन समाज के भीष्म पितामह २८. पार्श्वनाथ चरित में राजनीति और शासन -श्री देवेन्द्र कुमार जैन व्यवस्था-श्री जयकुमार जैन १०. साहित्य तपस्वी की अमर साधना २६ भगवान महावीर जी प्रजातान्त्रिक दृष्टि -श्री अगरचन्द नाहटा - डा. निजामुद्दीन । ११. मुख्तार श्री और समीचीन धर्मशास्त्र ३०. जन कला विषयक साहित्य -श्री सी. एल. सिंघई 'पुरन्दर' -डा० जे० पी. जैन १२. मुख्तार श्री की बहुमखी प्रतिभा ३१. मेघविजव के समस्या पूर्ति काव्य -पं० बालचन्द सिद्धान्त-शास्त्री -श्री श्रेयांसकुमार जैन १३. मुख्तार श्री : व्यक्तित्व और कृतित्व ३२. जैन ध्वज : स्वरूप और परम्परा -श्री परमानन्द जैन शास्त्री, दिल्ली -५० पद्मचन्द्र शास्त्री, नई दिल्ली १४. युगसृष्टा की साहित्य साधना ३३. तीर्थकरो की प्राचीन रत्नमयी प्रतिमाए : -श्री गोकुलप्रसाद जैन, नई दिल्ली विविध सन्दर्भ-श्री दिगम्बरदास जैन जैन शोध और समीक्षा ३४. नोहर जैन देवालय की मादिनाय प्रतिमा १५. नेमिदूत काव्य के पूर्ववर्ती सस्करण -श्री देवेन्द्र हाण्डा, सरदार शहर -श्री अगरचन्द नाहटा १६. जैन साहित्य और शिल्प मे रामकथा ३५. वस्तु क्या है ? -श्री बाबूलाल जैन -श्री मारुतिनन्दन तिवारी ३६. धर्मचक्र-डा. गोपीलाल प्रमर १७. जैन कर्मसिद्धान्त : एक तुलनात्मक अध्ययन ३७. बृषभ पाह्वान-प्रथर्ववेद -डा0 राममूर्ति त्रिपाठी ३८. ऋषभ वन्दना-ऋग्वेद १५. सोलंकी काल के जैन मन्दिरों में जंतर चित्रण ३६. ग्रन्थ समीक्षा-श्री गोकुलप्रसाद जैन प्रावरण पृ ३ -डा० हरिहर सिंह ४७ / ४०. श्रमण (जैन) के पर्यायवाची शब्द सावरण पृ. ३ अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पावन-मण्डल उत्तरदायी नहीं है। - सम्पादक नक " - "

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