Book Title: Anekant 1977 Book 30 Ank 01 to 04
Author(s): Gokulprasad Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 156
________________ धात ७४३०० ३-४ तिथि मंत्री नव मोडली, दीप मोगर बाउ । थी प्रसंग जिणि थापीयउ तिणि मारयउ सजय राऊ ।। १२ ।। खंड गंभीर मीर यह जह प्रसंग हुइ नारि । तेमालोयण छूटि परे पुर्णि पाप से मत संसारि ॥१३॥ सामेव कायर्क दोस मन वाचक व्यापक दोसि । मनसुन कृष्ण पाक्षिक होसि ॥१४० सादेखि कणि बीड, मकार विषय प्रसंग साधु चोर कंवर हुवइ तऊ, सुसिल्यई इस पतंग || १४ | ० ताते तात मेला वडउ भागां एक वटाउ । मुंड रंड रह गोतमी, ए मुझ बरो नसुहाई ॥१६॥ प्रा० साम है थाए भून, ते मुनिवर मनि हालि । तेजी से से विराणि कालि ॥१७॥ पा पंचा गाठि गोपालिंका, नल दव दति भांति मापो मापे बिलूरियउ, कनकमाला भवदाति ॥ १८० अमर कंक दोषई लर्ड, रायमई रह नेमि 1 बंधू समणि समाई सउ, अंवर डइ भरहर न एमि ।। १६ ।। प्रा० कूल बालमा गही गह्य उ समण संकावइ पेट | सिंह गुफा वासी करद्द, रयण मासु पवासि मोखी, मू भउ राम वल कल करउरिजे घरइ सा, सू सुं चल्य उ अछंद ॥ २१ ॥ श्र० भूल पयावर पुंत्रिका, भंभर भइणी भूल । पाल भूल जाइया जान जननी भूल ॥२२॥ म्रा० ऐसी बेसी माली मरद कुकाजी किसी काजी | कंवल की भेंट | २०|श्रा० राम कहि न दे । पांगस पसइ इहा जीवीया, मोठी मधू बिंदु नि ॥२२॥ाबा तेदु छद रजु वेढिला, गज न्हाण सिरि घूमि । परहट मालि विसुगि मा भणि जल इतरू मूर्ति ॥२४॥ वयई चतुर चुय छहिडी, घास पयहउ गोण बलि लीह म खोलडु, पंच मुहि दिति दोणि ॥ २५॥ ०० हुमा पहें छह बहू सोम मलie विलास । निश्वदहित जाणी की, जे करता येत विणास ॥२६॥ भ्रम भइ सिग डाली यउ विग्रह वंड जुडेत । खेत्रि न खल्यउ सुंर मणऊ, प्रगो अग भिडत || २०|० रमणे सहस चउरासि पारण पुण्य जुवीर । करति । सुकल विसण परिवदयति भोजनत फल होई ॥२८॥प्रा० गुरु गछा का करे सही, सीसा का करण जोग जे प्रापणा, ते साचा सिव बिति ।। २६॥ प्रा० सवन शील महिमा मिलउ, कुमील सूरि सिरि पार जिनसमुद्र सूरि सोहबइ, खरतर गुरु कऊ पार ॥ ३० ॥ श्र० कुसील उछापक सुसील, सस्थापक सागरचंद । सूरिराय वाणायरी, रयण-कीरत गणिचंद ॥ ३१ ॥ श्र० समय भगतवर वाचका वीर विनेयानद । रूपकमाला सोलनी, इम प्रमणइ श्रीपुण्यनन्द || ३२ ॥ प्रा० [१० ५५ का १०. निघण्टुशेष - हेमचन्द्र, लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद, १९६८ ११. देशीनाममाला - हेमचन्द्र, भाण्डारकर घोरियण्टल रिसर्च इस्टिट्यूट, पूना, १६३८ १२. प्रमाणमीमांसा - हेमचन्द्र, तिलोकरत्न स्थानकवासी जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड, पाथर्डी, धमदनगर, १६०० १३.मचंद्र जोहरी, दिल्ली, Pa १६६३ १४. स्याद्वामंजरी - मल्लिषेण, श्रीमद् राजश्चन्द्र माश्रम, अगास, १९३५ १५. नीति हेमचन्द्र, महमदाबाद, १९०६ १६. वीतरागस्तोष हेमचन्द्र देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड सूरत, १९४६ १७. महादेवस्तोष हेमचन्द्र जैन भारमानन्द सभा, भावनगर, १९३५ इति श्री रूपकमाला सम्पूर्ण । वाचनाचार्य श्री भुवनकीति गणि विनेय पं० भूवनविजय कृतेम लेखि पं० मानकीर्तिनाम् श्रीऽस्तु शुभ भवतु । 000 शेषांश ] १०. द्विजवदनचपेटिका हेमचन्द्र, हेमचन्द्र सभा, पाटन १९२२ १८ नामसमुचय हेमचन्द्र, साराभाई [नवाब (जैन स्लोव संगोह, भाग १.१० १-१३), महमदाबाद १९१२ २०. प्राचार्य हेमचन्द्र - वि० भा० मुसलगांवकर, मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ प्रकादमी भोपाल, १२७१ २१. हेमचन्द्राचार्य जीवन चरित्र - जार्ज बुहलर, हिन्दी अनु० कस्तूरमल बांठिया, पौलम्बा विद्याभवन, वाराणसी १९६७ 22. Life of Hemacandracarya--G. Buhler, Singhi Jain Jnanpith, Santiniketan, 1936 23. Studies in Hemacandra's Desinamamala H. C. Bhayani, P. V. Research Instiute, Varanasi, 1966 DOOD

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