Book Title: Anchalgacchiya Lekh Sangraha
Author(s): Parshva
Publisher: Anantnath Maharaj Jain Derasar

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Page 104
________________ मेदपाटे गिरो देसे गिरजागिरस्थानयो । तां नगरो उत्तमा ज्ञेया देवको प्रमपट्टणौ ॥२॥ तत्र राज्ञा श्रेयो ज्ञेयाः राघवो राज्य मानयोः । षट्दर्शन सदा मान्यः श्वेतांबरा अभिश्रियो || ३॥ श्रीमदंचलगच्छेस्था श्री उदयसागरसूरिणा । तस्य आज्ञा कारेण चारित्र रत्न गुर प्रभौ ॥ ४ ॥ शिष्य लक्ष्मीरत्नस्य साधु मुद्रा सदा सुखी । राजधर्म सनेहादि जिनमंदिर कारापितं ॥ ५ ॥ कोटि वर्ष चिरंजीवो बहुपुत्र गजवाजिना । अचलं मेरु ऊर्णीयं राज्यं पालति राघवः || ६ || जे अन्य राजा स्वईवः लोपतो परदत्तयो । नरकं ते नरा जाति जस्य धर्मस्य अवृथा ||७|| * सं० १७९८ वर्षे माघ सुदि ५ तिथौ गुरू श्री चतुराजी शिष्य कुशलरतन लक्ष्मीरतन उपासरो कराव्यो श्री पुण्यार्थे । श्री राज श्री राघव देवजी वारके देलवाडा नगरे श्री संघ समस्तां साध अर्थे पं० लिखमीरतन चेला हेमराज उपासरो कराव्यो बीजो को रहे जणी हे गाय मार्यारो पाप है जती आंचल्या टाल रहेवा पावे नहीं ( ३२२ ) श्री गणेश' ...रतन चेला हेम....कारापितं ॥ साह अषा साह नाराण साह ठाकुरसी साह हेमा साह हमीर साह लुना साह सिवा साहहर साह फवेल साह मेघा साह भोपा साह विरधा कटार्या चतुरा झीथा सगता समसथ श्रावका लषाणा श्री राघव देवजी बारको मंदिर कारा • लक्ष्मीरतन सं० १८०५ माघ सुदि १३ शुक्रे प्रतिष्ठा करावो लक्ष्मीरतन '''''॥ ( ३२३ ) श्री श्री उ० श्रीभाग्य सागरगणिजित् शिष्य पुण्यसागरगणिभिः श्री श्री श्री सिद्धाचले ॥ श्रेयः ॥ (३२२) हेसवाडा - भेवाड : हरवालनी छतरी परना बेम. (૩૨૩) શ્રી શત્રુંજયગિરિ પર આદીશ્વર ભગવાનની ટુંકની ભમતીમાં (૧) શ્રી કલ્યાણુસાગરસૂરિ (૨) ઉપા॰ શ્રી ભાગ્યસાગર ગણિ (૩) ઉપા॰ શ્રી ક્ષેમસાગર ગણિ (૪) શ્રી મહાવીરસ્વામી (પ) શ્રી ઋષભદેવ (૬) શ્રી પાર્શ્વનાથ ભગવાનની પાદુંકાઓ પરના લેખ.

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