Book Title: Anchalgacchiya Lekh Sangraha
Author(s): Parshva
Publisher: Anantnath Maharaj Jain Derasar

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Page 137
________________ (४३५ ) सं० १५८४ वैशाख वदि ५ ओशवंशे वरहडियागोत्रे सा० लाखा पुत्र सा० हर्षा भार्या हीरादे पुत्र सा० टोडरश्रावकेण स्वश्रेयसे श्रीशान्तिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं च अंचलगच्छे श्रावकेन ॥ श्रेयोस्तु ॥ ( ४३६ ) ॥ सं० १६०३ वर्षे वैशाख सुदि ३ शुक्रे दिने उपकेशज्ञातीय । देवाणंदाशाखायां शा० वरसंघ । भा० वरजू पु० हांसा तेजा तोल्हा बीदा वीसा हांसा भा० हांसलदे पूर्वज निमित्तं श्रीशान्तिनाथबिंब का० प्र० श्री अंचलगच्छे श्री धर्मसूरिभिः । (४३७ ) ॥ श्री अचलगच्छे श्री उदयराज उपाध्या(य) शिष्य वा० विमलरंग पं० देवचंद्र पं० नग(ज्ञा)नरंग पं० तिलकराज सोमचंद्र हर्षरत्न गुणरत्न दयारत्न समस्त परिवार यात्रा पं० न्या(ज्ञा)नरंग हर्षरत्न च(चो)मास कीधो संघ आग्रहेन श्रीगुणनिधानसूरि प्रसादात् श्रीमाल घेता वरशी छीमा भजाडा रामा यात्रा सफल हजो ( ४३८ ) संवत १६०८ वर्षे मगसरवदि ११ भोमे रषि वीजामती पाटश्रीः पीमराज रषि........ कुंभ रष गेला जात्रा सफल संघवी सिंहदा स(सु)त संघवी श्रीमल भारजा सफलदे अंगजातक संघवी केला सहजा वास गाम अरणदा साहा पाथा अमरा अचला समर। लोला लाला भीला कवरा वस्ता कुला डाल जात्र सफलं..........." ( ४३९ ) संवत १६०८ वर्षे वइसांषि वदि ६ सुके वासरे विध(धि) पक्ष श्री ५ विजईराज तत्सिष्य श्रीधर्मदास तत् सिष्य श्री ५ षिमासागर तत्सिष्य रिषि हीरारिः छीतररिः धनारिः लालारिः झाझारिः रूपूरिः दशर्थ साधी नाथी साः भीमाः दीपां साः ईरां साः पेमा साः रत्ना सा० रूपा समस्त परिवार सह(हि)त श्री अर्बुदाचल जात्रा कृत्वा सफल भविति समस्त संघ श्री: गेहा श्राविका लाछलदे श्रा० लडमदे प्रमुष किल्याणमस्तु ।।। (૪૩૫) જયપુરના શ્રી સુમતિનાથ જિનાલયની પંચતીર્થી ઉપરનો લેખ. (४३९) ॥२(न्यपुर)। श्री माहिनायनियन धातुभूति उपरने। बेम. . (૪૩૭)-(૪૪૦) આબુના વિમલવસતિના મુખ્યદ્વારમાં પ્રવેશતા ડાબા હાથ તરફના પહેલા અને બીજા સ્તંભ ઉપરના લેખ.

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