Book Title: Amar Vani
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 5
________________ 'अमर वाणी' के स्वर्णिम पृष्ठों पर कविश्रीजी जीवन के एक सच्चे वैज्ञानिक बन कर चमके हैं । मानव जीवन का उन्होंने गहरा अध्ययन और मन्थन किया है । जीवन के अन्तस्तल में पैठकर मनुष्य की आत्मा को उन्होंने खोजा है, उसकी वृत्तियों को उन्होंने परखा है और उसकी भावनाओं को उन्होंने पकड़ा है । वस्तुतः 'अमर वाणी' के रूप में उन्होंने मानवीय जीवन का सर्वांगीण विश्लेषण हमारे सामने रख छोड़ा है । क्या अध्यात्म, क्या धर्म, क्या समाज, क्या राष्ट्र, क्या संस्कृति ओर क्या सभ्यता, जीवन का कोई भी पहलू उनके सूक्ष्म चिंतन से असम्पृक्त नहीं रह पाया है । - और, इस दृष्टिकोण से 'अमर वाणी' मानव-जीवन का एक बोलता हुआ नया भाष्य है, महाभाष्य है । और, अधिक स्पष्ट शब्दों में कहूँ, तो 'अमर वाणी' नये युग के नये मानव के लिए जीवन का एक ऐसा नया शास्त्र है, जो जाति, वर्ग, सम्प्रदाय और पंथ के सब बाधा - बंधनों से दूर, अति दूर रह कर मानव मात्र को जीवन की सच्ची कला सिखला रहा है, जीवन की सच्ची दिशा की ओर इंगित कर रहा है । काश, आज का मनुष्य उस कला को सीख पाता, उस मानवीय विज्ञान को जीवन की प्रयोगशाला में ढाल पाता और सच्चे अर्थों में मनुष्य बन पाता ! आशा ही नहीं, प्रत्युत पूर्ण विश्वास है कि पाठकों को नव जीवनोदय के लिए हमारा यह तृतीय संस्करण एक अमोध वरदान सिद्ध होगा ! Jain Education International मंत्री श्री सम्मति ज्ञानपीठ, आगरा [ ४ ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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