Book Title: Alankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Archana Pandey
Publisher: Ilahabad University

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Page 6
________________ अध्याय छ मे रस, दोष तथा गुण का निरूपण किया गया है । सातवे अध्याय मे नायकादि के स्वरूप का विवेचन किया गया है आठवा अध्याय उपसहार के रूप ग्रन्थ के अनुशीलन से ज्ञात होता है कि इनके ग्रन्थ पर आचार्य भामह, दण्डी, भोज, मम्मट तथा वाग्भट का प्रभाव है । कतिपय दोषों पर भामह का स्पष्ट प्रभाव है । उपमा निरूपण के सन्दर्भ मे दण्डी द्वारा निरूपित उपमा भेदों का अजितसेन ने क्रम से निरूपण किया है । दोष निरूपण के प्रसंग मे मम्मट का स्पष्ट प्रभाव है । परवर्ती काल मे आचार्य विद्यानाथ अजितसेन से अधिक प्रभावित दिखाई देते है । अनुसन्धान करते समय अनुसन्धात्री की मौलिक प्रवृत्ति का प्राधान्य रहे - ऐसा ध्यान दिया गया है । अनुसन्धान क्षेत्र मे जिन गुरुजनों ने अपना योगदान दिया । उनके प्रति आभार प्रकट करना मै अपना कर्तव्य समझती हूँ । सर्वप्रथम मै अपने पिता श्री शिवश्याम पाण्डेय (प्रधानाचार्य, ऋषिकल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इलाहाबाद) एव माता श्रीमती रन्नो देवी पाण्डेय (अध्यापिका, विद्यावती दरबारी बालिका इण्टर कालेज) के प्रति आजीवन ऋणी हूँ, जिनके अपार स्नेहिल प्रेम के फलस्वरूप ही यह अनुसन्धान कार्य सम्पन्न हो सका । शोधकार्य मे प्रवृत्त होने पर मै अपने श्रद्धय गुरू डा0 चन्द्रभूषण मिश्र (प्रोफेसर इलाहाबाद विश्वविद्यालय) के प्रति श्रद्धावनत हूँ, जिनसे मुझे समय-समय पर अपेक्षित सहायता एव प्रेरणा मिली ।

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