Book Title: Agam Suttani Satikam Part 05 Bhagvati
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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भगवतीअङ्गसूत्रं ९/-/३२/४५१ मू. (४५१) तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नगरे होत्था वन्नओ, दूतिपलासे चेइए, सामी समोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया।
तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे गंगेए नामं अनगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छइत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी
संतरं भंते ! नेरइया उववजंति निरंतर नेरइया उववज्जति ?, गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववजंति निरंतरंपि नेरइया उववजंति, संतरंभंते! असुरकुमाराउववजंति निरंतरंअसुरकुमारा उववजंति?, गंगेया! संतरंपि असुरकुमारा उववजंति निरंतरंपि असुरुकमारा उववखंति एवं जाव थणियकुमारा।
संतरं भंते ! पुढविकाइया उववजंति निरंतरं पुढविकाइया उववजंति ?, गंगेया ! नो संतरं पुढविकाइया उववजंति निरंतरं पुढविकाइया उववजंति, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया एते जहा नेरइया।
वृ.'तेण मित्यादि, संतरं'तिसमयादिकालापेक्षयासविच्छेदं, तत्र चैकेन्द्रियाणामनुसमयमुत्पादात् निरन्तरत्वमन्येषां तूत्पादे विरहस्यापि भावात् सान्तरत्वं निरन्तरत्वं साविच्छेदं, तत्र चैकेन्द्रियाणामनुसमयमुत्पादात् निरन्तरत्वमन्येषां तूत्पादेविरहस्यापि भावात्सान्तरत्वं निरन्तरत्वं च वाच्यमिति।
मू. (४५२) संतरंभंते! नेरइया उववढंति निरंतरं नेरइयाउववट्टति?, गंगेया! संतरंपि नेरइया उववद्वृति निरंतरंपि नेरइया उववद्वृति, एवं जाव थणियकुमारा।
संतरं भंते ! पुढविक्काइया उववहति ? पुच्छा, गंगेया! नो संतरं पुढविक्काइया उव्वटुंति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वदृति, एव जाव वणस्सइकाइया नो संतरं निरंतरं उव्वद॒ति ।
संतरं भंते ! बेइंदिया उव्वटुंति निरंतरं बेइंदिया उव्वटुंति?, गंगेया! संतरंपि बेइंदिया उव्वदृति निरंतरंपि बेइंदिया उव्वटुंति, एवं जाव वाणमंतरा।
संतरं भंते ! जोइसिया चयंति? पुच्छा, गंगेया! संतरंपि जोइसिया चयंति निरंतरंपि जोइसिया चयंति, एवं जाव वेमाणियावि।
वृ.उत्पन्नानांचसतामुद्वर्तना भवतीत्यतस्यांनिरूपयन्नाह-संतरंभंते! नेरइयाउववटुंती'त्यादि ॥ उद्वृत्तानां च केषाञ्चिद्गत्यन्तरे प्रवेशनं भवतीत्यतस्तन्निरूपणायाह____ मू. (४५३) कइविहे णं भंते ! पवेसणए पन्नत्ते?, गंगेया ! चउविहे पवेसणए पन्नत्ते तंजहा-नेरइयपवेसणए तिरियजोणियपवेसणए मणुस्सपवेसणए देवपवेसणए।
नेरइयपवेसणएणंभंते! कहविहे पन्नत्ते?, गंगेया! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए।
एगेणं भंते! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसणमाणे किं रयणप्पभाए होजा सक्करप्पभाए होजा जाव अहोसत्तमाए होज्जा?, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ।
दोभंते! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए
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