Book Title: Agam Sutra Satik 05 Bhagavati AngSutra 05
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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शतकं-२५, वर्गः-, उद्देशकः-७ सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए जहा सामाइयसंजए।
सामाइयसंजयाणं भंते ! कालओ केवच्चिरहोइ?, गोयमा! सव्वद्धा, छेदोवट्ठावणिएसु पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं अड्डाइजाई वाससयाइंउक्को० पन्नासंसागरोवमकोडियसहस्साइं।
परिहारविसुद्धीए पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं देसूणाई दो वाससयाई उक्को देसूणाओ दो पुवकोडीओ, सुहुमसंपरागसंजयाणंभंते! पुच्छा, गोयमा!जह० एक्समयंउक्कोसेणं अंतोमुहत्तं, अहक्खायसंजया जहा सामाइयसंजया २९ । ।
सामाइयसंजयस्सरणंभंते! केवतियंकालं अंतर होइ?, गोयमा! जहन्त्रेणंजहा पुलागस्स एवंजाव अहक्खायसंजयस्स, सामाइयसं० भंते! पुच्छा, गोयमा! नस्थिअंतरं, छेदोवट्ठावणिय पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं तेवर्दिवाससहस्सांउक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकाडीओ, परिहारविसुद्धियस्स पुछा, गोयमा! जहन्नेणं चउरासीइं वाससहस्साई उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ, सुहमसंपरायाणं जहा नियंठाणं, अहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं ३०॥
सामाइयसंजयस्सणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता?, गोयमा! छ समुग्धाया पन्नत्ता, तं जहाकसायकुसीलस्स, एवं छेदोवठ्ठावणियस्सवि, परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स, सुहुमसंपरागस्स जहा नियंठस्स, अहखायस्स जहा सिणायस्स ३१॥
सामाइयसंजएणं भंते! लोगस्स किं संखेचइभागे होजा असंखेजइभागे पुच्छा, गोयमा नो संखेजइजहा पुलाए, एवं जाव सुहुमसंपराए । अहक्खायसंजए जहा सिणाए ३२ /
सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजइभागं फुसइ जहेव होजा तहेव फुसइ ३३॥
सामाइयसंजए णं भंते ! कयरंमि भावे होजा?, गोयमा ! उवसमिए भावे होजा, एवं जाव सुहुमसंपराए, अहक्खायसंपराए पुच्छा, गोयमा! उवसमिए वा खइए वा भावे होज्जा ३४
सामाइयसंजयाणंभंते! एगसमएणं केवतिया होजा?,गोयमा! पडिवजमाणएय पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेस, छेदोवट्ठावणिया पुच्छा, गोयमा! पडिवञ्जमाणे पडुच्च सियअस्थिसिय नस्थि, जइअस्थिजहन्नेणं एको वादो वातिनि वा उक्कोसेणंसयपुहत्तं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च सिय अस्थि सिय नस्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिसयपुहत्तं, परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा, सुहमसंपराया जहा नियंठा।
अहक्खायसंजयाणं पुच्छा, गोयमा! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नस्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं बावट्ठसयं अहुत्तरसयं खवगाणं चउम्पन्न उवसामगाणं, पुव्वपडिवत्रए पडुच्च जहन्नेणं कोडिपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिपुहुत्तं।
एएसिणंभंते! सामाइयछेओवट्ठावणियपरिहारविसुद्धियसुहुमसंपरायअहक्खायसंजयाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया?, गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया परिहारविसुद्धियसंजया संखेनगुणा अहस्खायसंजया संखे० छेओवट्ठवणियसंजया संखे० सामाइयसंजया संखेज०३६ ।
वृ. 'सामाझ्य' इत्यादौसामायिकप्रतिपत्तिसमयसमनन्तरमेव मरणादेकः समयः, उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहिं ऊणिया पुवकोडी'त्ति यदुक्तं तद्गर्भसमयादारभ्यावसेयम्, अन्यथा जन्मदिनापेक्षयाऽष्टवर्षोनिकैव सा भवतीति, “परिहारविसुद्धिए जहन्नेणं एक्कं समय'ति मरणापेक्षमेतत्।
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