Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ आदिगतं तुर्यगतं, पञ्चमकं चान्त्यगतम् / स्याद्गुरु चेत्तत्कथितं, माणवकं भात्तलगाः // 14 // द्वितुर्यषष्ठमष्टमं, यदा गुरु प्रयोजितम् / बुभाः प्रकाशयन्ति ता, प्रमाणिको जगै लगौ / / 15 / / वर्णाः सर्वे दीर्घा यस्यां, विश्रामः स्याद्वेदैर्वेदैः / व्याख्याता सा विद्वद्वन्दै-मोमो गो गो विद्युन्माला / / 16 // यत्र गुरु स्यादाद्यचतुर्थ, पञ्चमषष्ठं चान्त्यमुपान्त्यम् / चम्पकमाला चेद्भमसागाश्चेन्द्रियवाणैर्यत्र विरामः // 17 // चम्पकमाला यत्र भवेदन्त्यविहीना काव्यमते / / स्यान्मणिबन्धो भम्सगणैरिन्द्रियवेदैर्यद्विरतिः // 18 // .. मन्दाक्रान्ताऽन्त्ययतिरहिता, चत्वारः प्राग्दशमगुरुकाः / . विश्रामः स्याधुगरसमिते-हंसी मत्ता मभनागयुता // 16 // हस्वो वर्णो जायते शैक्ष ! षष्ठ छन्दोबुद्धे तद्वदेवाष्टमान्त्यः / विश्रामः स्पायन वेदैस्तुरङ्गैः / शालिन्युक्ता म्तौ तगो गो सुसाधो // 20 // . आधचतुर्थमखण्डतपस्विन्सप्तमकं दशमं गुरु चान्त्यम् / दोधकवृत्तमिदं भभभाद्गौ यत्कथितं कविमण्डलमुख्यैः।।२१।। यस्यां त्रिषट्सप्तममक्षरं स्याद् - ध्रस्वं तथा चेन्नवमं च तद्वत् / स्यादिन्द्रवज्रा यदि तो जगौ गो . _' यस्ता क्रियापदप्रमितेविरामः // 22 / / यदीन्द्रवज्राचरणेषु पूर्वे, - भवन्ति वर्णा लघवः सुकर्मन् / उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ, . भवेत्क्रियापट्रमितेविरामः // 23 // अनन्तरोदीरितलक्ष्मभाजी, . ' पादौ यदीयावुपजातयस्ताः / /

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 154