Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi
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૪૨
आगम कहा एवं नामकोसो निसी. भा.१५; वव. (भा.६४-) वृ. . सम.३४१, दस.चू.पृ.१००; उत्त.(नि.१२१-) वृ. | अस्ससेन (अश्वसेन) सनत् यवताना पिता अससेन (अश्वसेन) हुमो आससे न, आव.नि.३८९,३९९; ભપાર્શ્વના પિતા.
अस्सिणि (अश्विनी) श्रावस्तीना श्राव आव.नि. ३८२,
नंदिनीपिया नी पत्नीसनेप्रतधारी श्राविक असाडाभूइ (असाढाभूति) हुमो आसाढाभूइ॥ उवा. ५७,६३, जिय.भा. १३९८;
अहरदत्त (अर्हद्दत्त) मात्भविराधनाना पिंडनि.५९२-५१८;
સંદર્ભમાં જેમનું દૃષ્ટાંત અપાય છે તેવા એક १-असोग (अशोक) मो. असोगललि|| साधु वृत्तिार तेनु नाम अरहन्नक सणे छे. सम.३३२
आया.चू.पृ.१८१; आया.(मू.१६९-) वृ. २-असोग (अशोक) चंदगुत्त ना पुत्र|| अहिल्लिया (अहिन्निका) छैन। माटे मे बिंदुसार नो पुत्र भने कुणाल न पितात | લડાઈ થઈ હતી તેવી સ્ત્રી, વૃતિકાર તેનું નામ પાટલિપુત્રનો રાજા હતો.
अहिन्निका ४९छे. निसी.(भा.२१५४-) चू.
पण्हा २०१७ बुह.भा. २९२-२९४ + वृ.
|१-आइच्चजस (आदित्ययशस्) मा सवसअसोगचंद (अशोकचन्द्र) २०% सेणिअ ना|| पिएम थयेन। पडेटा यता भरह नो पुत्र कूणिअ नुंजीटुनाम.
पुत्र. महाजस तनो पुत्र हती. भरह पछी आव.चू.१-पृ. ५६७, २-पृ १६७;
આઠ મહાપુરુષો મોક્ષે ગયા તેમાં પ્રથમ. आव. (नि.१२८४-) वृ.
ठा. ७२७, ठा.(मू.२५४,९८२-) वृ. असोगचंदअ (अशोकचन्द्रक) हुमो आव.नि.३६३; आव.चू.१.पृ.२२८; 'असोगचंद
नंदी. (मू.१५०-) वृ. आव.चू.२.पृ.१७४,आव(नि.९५१,१२८४-)वृ.;|| २-आइच्चजस (आदित्ययशस्) या२९ मुनि असोगदत्त (अशोकदत्त) साउतनगर नो मे|| आव.चू.१-पृ.२७१; Auथापति, समुद्दद्दत्त भने सागरदत्त तेना|| आदिच्चजस (आदित्ययशस्) एमओ पुत्रोता.
'आइच्चजस-१' आव.चू.१-पृ.५२७, आव.(नि.९१८-)वृ. ठा.७२७*वृ. आव.चू. १-पृ १७१, असोगललिअ (अशोकललित) वर्तमान ||१-आनंद (आनंन्द) मरतक्षेत्रनमा सव
ભરતમાં થયેલા ચોથા બલદેવના પૂર્વભવનું સર્પિણીના નવમાંના છઠ્ઠા બલદેવ. વાસુદેવ નામ તે સેí સાધુ પાસે ધર્મ પામ્યો. (||પુરિસપુંડરિઅ ના ભાઈ ચક્રપુરના રાજા ॐ असोग मने ललिअ बने सलग नाम |महासिव भने २।वेजयंति ना पुत्र હોવા જોઈએ તો નવ બળદેવ થઈ શકે) सम, ३३१-३३५, ३४४,३४५; सम.३३२,
आव.नि. ४०३,४१४; असोगसिरि (अशोकश्रि) हुमो ‘असोग-२|| |२-आनंद (आनन्द) २।४]डी नगरीनो मे बुह.भा. ३२७६;
ગૃહસ્થ વ્યાપારી, ભબહાવીરે જેને ત્યાં બીજા अस्सग्गीव (अश्वग्रीव) वर्तमान अवसपिए || માસક્ષમણનું પારણું કર્યું. ત્યારે પંચ દિવ્ય आमा मरतक्षेत्रमा नो प्रथम पडिसत्तु| प्रगट येता. (प्रतिवासुहेव) तेने घोडगगीव ५९४ छ.|| भग.६३९; आव.नि.४७४,४९७;
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