Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi
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आगम नाम कोसो
૧૨૯ दस.१३; दस.चू.पृ.८८;
निसी.(भा.१११६-)चू. बुह(भा.१४४-)वृ उत्त. ८३९ वृ.
वव.भा.२६८१ वृ. भोगवझ्या (भोगवतिका) २१४] डीन धन- आव.चू.१-पृ.५८५,२-पृ.८०; २' सार्थवाहनाला पुत्र घनदेव नी पत्नी.|| नंदी.३१; नंदी (मू.२८-) वृ. नाया. ७५;
मंड (मण्ड) मंडिय-२ नुंबीटुं नाम मइ (मति) ५iमथुराना ना २0% ‘पंडुसेन | आव.नि.६४५; ની પુત્રી
मंडिअपुत्त (मण्डितपुत्र) म.महावीरन। छ81 आव.नि.१२९५ आव.चू.२-पृ.१९७; || ५२, ते. मंडिय नामे प्रसिद्ध छे. ते मंकाइ (मङ्काति) २१%डी नगरीनो मे|| भगवंतने या मासिक प्रश्रो पुछेल.
गायापति, म.महावीरनी थी Pla|| भग. १७८-१८२; લીધી, વિપુલપર્વતે મોક્ષે ગયા.
|मडित (मण्डित) अन्नातटनगरनो अंत. २४,२६;
લુંટારો જે ત્યાંની ગુફામાં રહેતો હતો, કોઈ मंखलि (मङ्कलि) गोशाणानो पिता, तेनी | तेने ५४ शतो नहतो, छेले २०% मूलदेवे पत्नी नुं नाम भद्दा' तु.
તેની પલ્લી શોધી, તેની બહેન સાથે લગ્ન भग.६३८;
आव.नि.४७४;|| उरी, संपत्ति पाछी मेणवी. आव.चू.१-पृ. २८२
उत्त. तु.प. ११८ मखलिपुत्त (मङ्कलिपुत्र) गोशाणानुबाहुं ||१-मंडिय (मण्डित) गोशान मते तेनो नाम,था शुओ 'गोसाल' तो| त्रीने शरीरात प्रवेशमा यो त मा.महावीरना शिष्य सुनक्षत्र भने| भग. ६४८; सानुभूति ने तेलोवेश्याथी पाणी नाणेल. || २-मंडिय (मण्डित) तेने मंडिअपुत्त ५९॥ भग. ६३७-६५६, संथा. ८७;|| छे. ते म.महावीरन।७४ २९५२ ता. मंगला (मङ्गला) पांयमा तीर्थ ४२ म..सुमई | वरिष्ठ गोत्रना घनदेव मने विजयदेवा न।
नी माता, शलपुरना २५% मेहनी पत्नी|| પુત્ર હતા. તેના નાના ભાઈ મરિયપુર હતા. सम. २६९; आव.नि. ३८२-३८७; ૩૫૦ શિષ્યો સાથે મંડિતે ભ મહાવીર પાસે नंदी. (मू. १०२-) वृ.
દીક્ષા લીધી. १-मंगलावई (मङ्गलावती) [पुरना २८% || सम.९१,१६२; भग.१७८-१८२ दसण्णभद्द नी पत्नी (२९)
आव.नि.५९३,५९५,६४५-६५५,९१६आव.चू.१-पृ.४७९;
९२२,९५९, आव.चू.१-पृ.३३७-३९; २-मंगलावई (मङ्गलावती) वइरसेन नी पत्नी || नंदी. २१; भने वइरनाभ नी मात, ४की? नाम|| मंडुअ (मण्डुक) सेस.पुरन। २। सेलअ धारिणी तुं.
અને રાણી પ૩માવડું ના પુત્ર-જે પછી રાજા आव.चू.१-पृ.१८०;
पन्यो . मंगु (मङ्गु) मे विद्वान मायार्थ, माहारनी || नाया. ६६-६९; सायने २५ ते. मृत्युमा मथुरामा यक्ष || मंडुक्कलिय (मण्डूकिक) ओ मायार्य, ने. થયા. તે આચાર્ય સમુદ્ર ના શિષ્ય હતા. તેને || રસ્તે ચાલતા પગ નીચે એક દેડકી દબાઈને नंदिल नामे शिष्य उता.
મરી ગઈ તે ભુલનો એકરાર કર્યો ન હતો. गच्छा.(मू.९९-)वृ. निसी.भा.३२०० चू. || आव.चू.१-पृ.१६१,५६१;
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