Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi

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Page 159
________________ आगम नाम कोसो ૧પ૯ तेनी साथै ४ (भो भोगवा माग्यो. ..सच्चवई (सत्यवती) हतपुरन। २०% दंतवक्क' विवा.२६; नी पत्नी (२९) सगडाल (सकटाल) पालिपुत्रन। महापउम | निसी.भा.६५७५ वृ. वव(भा.५१८-)वृ. रानी मंत्री, तेने थूलभद्द पुत्री | आव.नि.१२८० वृ. आव.चू.२-पृ.१५३; भने जक्खा मा सात पुत्रीमो || सच्चरिसि (सत्यर्षि) महानिसीह सत्रन। હતી.વરુચિ બ્રાહ્મણ સાથેની દુશ્મનાવટ જિર્ણોદ્ધારને બહુમાન્ય કરનાર એક વિદ્વાનું થતા તેણે કુંટુબને બચાવવા જાતે જ પોતાની मायार्थ. इत्या ४२रावी. महानि. ५९१; आव.नि.१२८४*७. आव.चू.२-पृ.१८३; || सच्चसेन (सत्यसेन) भैरवत क्षेत्रमा मावि उत्त.नि.१०० वृ. ચોવીસીમાં થનારા બારમાં તીર્થકર सगर (सगर) भरतक्षेत्रमा थयेदा भी | सम. ३७७; यवता, २५% सुमित्राविय अने. २।९ || सज्जभव (शय्यम्भव) शुमो सेज्जभव' યશસ્વતીના પુત્ર, તેણે દીક્ષા લીધી. | | दस.चू.पृ.३७७ सम.३१२-३२० आव.नि.३७४,३९२; सतक (शतक) हुमो. 'सतय २९७-३९९,४०१,४१७; ठा.८७०; आव.चू.१-प-.२१४,२१५,२२७; | सतधनु (शतघनु) ४ो. ‘सयधनु आव.(नि.४३५-)वृ उत्त. ५९४; ठा.९९०; सच्चइ (सत्यकि) महिस्सर न भूजनाम, से.|| सतय (शतक) सयकित्ति नो पूर्वमव तो વિદ્યાધર અને સાધ્વી મુનેદ નો પુત્ર. તે|| ભ૦મહાવીરના તીર્થમાં તીર્થકર નામકર્મ भाभीयोवीसीमा ‘सव्वभावविउ नामन|| vij. तीर्थ.४२ थशे. ठा. ८७०,८७१; . सम. ३५६,३६१; आया.(मू.१०६,११०-)वृ. सम.३५६,३६२; सतानिक (शतानिक) हुमो. 'सयानिय निसी.(भा.३३९-)चू. आव.नि.११६८; आव.चू.२-पृ.१६४,१६९; | आव.चू.२.पृ.१७५,२७४; सतेरा (शतेरा) ॥२सीना मे ॥थापतिनी आव.(नि.११२८४-)चू. પુત્રી, દીક્ષા લીધી, મૃત્યુબાદ ધરણેન્દ્રની અગ્ર दस.(नि.१ि८५-) મહિષી બની. सच्चग (सत्यक) समां रात वातावनी ५. तेवा य॥२ या मारमाना मे सत्तकित्ति (सत्यकीर्ति) शुभो ‘सयकित्ति' उत्त. ८०*वृ. उत्त.चू.पृ.७५; || सम.३५६; सच्चनेमि (सत्यनेमि) २१% समुद्दविजय भने सत्तधनु (शतघनु) २४% बलदेव अनेरा २९. सिवा नौ पुत्र म. मरिष्टनेमि पासे || रेवई नो पुत्र था 'निसढ प्रभारी दीक्षा दीधी. शत्रुध्ये भोक्षे गया. वण्हि . २,४; अंत.१६,१७, उत्त.नि.४४४*७. सत्तुंजय (शत्रुञ्जय) साडेतना२नो २०० मे सच्चभामा (सत्यभामा) दृष्य वासुदृवनामे || १५त म.महावीरने बहन ४२वा येल ५४२ शेष ऽथा ‘पउमावई-५' भु४५ || आव.नि.१३१०* आव.चू.२.पृ.२०३ ठा.७३८; अंत. १९,२१; सत्तुसेन (शत्रुसेन) महिदपुरन थापति पण्हा . (मू.२०-) वृ. || नाग भने सुलसा नो पुत्र, म..मरिष्टनेमि नाया.३५६: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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