Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi

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Page 166
________________ ૧૬૬ आगम कहा एवं नामकोसो ઐરાવતક્ષેત્રમાં થનારા બીજા તીર્થકર. महानि. ५९१; इसम. ३७५ |१-सिरि (श्री) पोलासपुरना २ 'विजय३.सिद्धत्थ (सिद्धार्थ) मागभी योवासीमा | ४ नी पत्नी, अइमुत्त तेनो पुत्र तो. ઐરાવતક્ષેત્રમાં થનારા દશમાં તીર્થકર. अंत. ३९; सम. ३७७; २-सिरि (श्री) सो ‘सिरिदेवी-१' ४.सिद्धत्थ (सिद्धार्थ) सिसंनो २% विवा. १२,१६; विवा. ३१; १-सिरिअ (श्रीक) नहीपुरन। २मित्त नो ५.सिद्धत्थ (सद्धार्थ) मायार्य, नी. पासे || रसोध्यो, तेने मांस. २iधवा भने भावानो वीरंगअ सुमारे वीक्षा दीधी. ઘણો જ શોખ હતો, તે પછીના ભાવમાં वहि .३; सोरियदत्त थयो. ६.सिद्धत्थ (सिद्धार्थ) मध्यभपायानगरीनो || ठा.(मू.९७५-)वृ. विवा.३२ मे वेपारी, तो खरग वैधने हीन || २-सिरिअ (श्रीक) हुमो. 'सिरियों ભ.મહાવીરના કાનમાંથી ખીલા કઢાવેલા | आव.नि.१२८१ आव.नि.५२५ वृ.; आव.चू.१-पृ.३२२; ||१-सिरिकता (श्रीकान्ता) यंपानगरीन1 %81 ७.सिद्धत्थ (सद्धार्थ) भुगलगिरि ७५२ मोक्ष दत्त न पुत्र महचंद उभारनी भुज्य पत्नी પ્રાપ્ત કરનાર એક સાધુ. विवा. ४५ भत्त. १६१; २-सिरिकता (श्रीकान्ता) साउतनगरना २% सिद्धत्था (सिद्धार्था) अमिनहनना माता मित्तनंदी नी २५, वरदत्त तेनो पुत्ररतो. सम. २६९; आव.नि.३८२,३८५; विवा. ४६; सिद्धसेन (सिद्धसेन) सिद्धसेनदिवाकर ||३-सिरिकता (श्रीकान्ता) पुरिमताराना २%a नामे प्रसिद्ध तामेवा में विद्वान् मायार्थ|| उदिओअनी पत्नी (२९) शन भने शान संबंधे तो पी या री|| आव.चू.१.पृ.५५९; छ,ते मायार्थ वड़वादि न शिष्यता, 21 || आव.(नि.९४९-). नंदी (मू.१०७-) वृ. विक्कम तेनाथी ५ो प्रभावीत उतो.|| ४-सिरिकता (श्रीकान्ता) सातनगरना मे महानिसीह मागमाना उद्धारने तेशबहुभान्य|| वेपारीनी पत्नी ४२दो. आव.नि.१२८९+वृ आव.चू.२.पृ.१९२; भग.(१०४५-)वृ. पन्न.(मू.५७४-)वृ.|| ५-सिरिकता (श्रीकान्ता) १४२ मरुदेवनी महानि.५९१; बुह.(भा.२६८१-वृ. પત્ની आव.चू.१.पृ.३८०; उत्त.(मू.६२-)वृ. ठा.६५१; सम. २६२, नंदी.(मू.९१-) वृ. | आव.नि.१५९; सिद्धसेनखमासमण (सिद्धसेनक्षमाश्रमण) || सिरिगत्त (श्रीगुप्त) मायार्थ सुहत्थि नामे निसीह सूत्र५२न। भाष्य नाता | शिष्य, निलय रोहगुत्त तेनो शिष्य हतो. निसी.(भा.२०६,२९३,५४६३,५७१३-)चू. || नीसी.भा.५६०२; आव.नि. १३६; आव.चू.२-पृ.२३३ दस.चू.पृ.१६; आव.चू.१.पृ.४२५; उत्त.नि.१७२+वृ. सिद्धसेन दिवायर (सिद्धसेनदिवाकर) हुमो || सिरिचंद (श्रीचन्द्र) मामी योवीसीमां सिद्धसेन ઐરાવત ક્ષેત્રમાં થનારા છઠ્ઠા તીર્થકર. भग.(मू.४५-)वृ. पन्न.(मू.५७४-)वृ.|| सम. ३७६; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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