Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi

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Page 143
________________ आगम नाम कोसो ૧૪૩ પ્રતિવાસુદેવ, તેને વાસુદેવ નારાયને હણેલ. કુંથુનો પૂર્વભવનો જીવ सम. ३४१; आव.भा.४२,४३;|| सम. २७४; राहाखमण (राघश्रमण) मायार्थ राहायरिय ||३-रुप्पि (रुक्मिन्) रिन्य नगरीनो २% ના શિષ્ય भेसग नो पुत्र,दोवई ना स्वयंवरमा तेने उत्त.नि.९८ वृ. उत्त.चू.पृ.६२॥ निमंत्रामणेर राहयरिय (राधाचार्य) में मायार्थ, से नाया. १७०; पण्हा . (मू.२०-) वृ. अयसपुरन॥ २॥४मार अपराइय ने ही रुप्पिणी (रुक्मिणी) इ. वासुदृवनी मापेल.राहक्खमण ५९तेन शिष्य ता. || मत्रीश ४२ २०ीमोभ मुध्य २४ी, ते उत्त.नि.९८ वृ. उत्त.चू.पृ.६२|| जिन्याना २% भेसग नी पुत्री भने रुप्पि रिट्ठ (रिष्ट) मुलालनगरना २%,वेसमणदास नीबन ती. तेने पज्जुन्न नामे पुत्र सतो. નો મંત્રી તેણે સદન નામના સાધુને બાળી તેણી દીક્ષા લઈ મોક્ષે ગયા. નાંખેલ ठा.७३८; नाया. ६३ संथा.८०-८३; अंत.३,१७,२१; पण्हा . (मू.२०-) वृ. रिपडिसत्तु (रिपुप्रतिशत्रु) २पयावई नुं आव.चू.१-पृ.५६३; दस.चू.पृ.१०६ મૂળનામ જે તિવિદ વાસુદેવ ના પિતા હતા.' | दस.(नि.१९३-)वृ. आव.चू.१.१.२३२; आव.(नि.४४४-वृ. | रयंसा (रूपांशा) यंपान गरीनामे रुद्द (रुद्र) वर्तमान अवसर्पिीनी || यातिनी पुत्री, दीक्षा दीथी मृत्युबाह બળદેવ અને ત્રીજા વાસુદેવના પિતા ભૂતાનદેન્દ્રની અગ્રમહિષી થયા. सम.३२२; आव.नि.४११; नाया. २२७; रुद्दअ (रुद्रक) कोसिअनामे शिष्यते ॥ रूयकता (रूपकान्ता) धुं रूयंसा भु४५ ५i ओधीहता. तो जोगजसानामनी स्त्रीने || नाया. २२७; भारी नसणेल, पछीथी ते पत्तेयबु थया. |यग (रूचक) यंपानगरीनो मे यापति, आव.नि.१२९३+वृ. आव.चू.२-पृ.१९३; || तेनी पत्नी रूयगसिरिसने पुत्री रूयाती. रुद्दसोमा (रुद्रसोमा) ६शपुरना सोमवनी || नाया. २२७ पत्नी मायार्थ रक्खिय तथा फग्गुरक्खिय नी || रायगसिरी (रुचकश्री) यंपानगरीन में માતા थापति रूयगनी पत्नी,रूया नी माता आव.नि.७७६; आव.चू.१-पृ.३९७,४०१; | नाया. २२७ उत्त.नि.९७ वृ. | रायगावई (रुचकावती) मे थापति-पत्नी रुप्पनाभा (रुप्यनाभा) प्रभ७२। नगरना नाया. २२७; पुरोहीतनो बा ४न्म, तेनुं पीटुं नाम || रायप्पभा (रूपप्रभा) मे यातिनी पत्नी सुबाहु हेतु नाया. २२७; आव.चू.१-पृ.१७९,१८०; सूयवई (रूपवती) नागपुरना में गायापतिनी १-रुप्पि (रुक्मिन्) दुर देशनो २४वी. || पुत्री ही दीपा, मृत्युलाई 11 पिशयेन्द्र ભ. મલ્લિ પાસે દીક્ષા લીધી. કેવળી થઈ મોલે || ની અગ્ર મહિષી બની. गया था हुमो मल्लि' नाया. २२९; ठा. ६६४, नाया. ८१८९; रया (रूचा) यंपानापति रूयग नी २-रुष्पि (रुक्मिन्) सत्तरमा तीर्थ४२ म... || पुत्री, दीक्षा दीधी. मृत्युषा (भूतानहेन्द्रनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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