Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi

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Page 71
________________ संथा.७० आगम नाम कोसो __ ७१ आव.चू.१.पृ ५६३-६२;आव.नि.४५०+वृ. चंदानन (चन्द्रानन) दीपना औरत || दस.चू. पृ. ८१,१०३; क्षेत्रनी मा योवीसीन। प्रथम तीर्थ.४२, त|| चाणुर (चाणुर) कंस न ६२५॥२मा पासुहेव मेहकुड पर्वत ५२ निवास पाभ्या. कण्ह द्वा२. येल मे व्यति. सम. ३४७; पण्हा .८; चंदाभ (चन्द्राभ) मा अक्सपिएन। |१-चारुदत्त (चारुदत्त) में यातिनो पुत्र, અગિયારમાં કુલકર, જેના શાસન માં ઉધાર તેણે બધી સંપત્તિ વેશ્યા પાછળ વેડફી દીધી. રાજનીતિ હતી. પછી તેના મામા સાથે આજીવિકા માટે जंबू. ४१,४२, ભટકવા લાગ્યો. चंदिम (चन्द्र) सतिनगरीनी सार्थना आया.चू.पृ.५०; भद्दा नो पुत्र, म.महावीर पासेहीक्षा दीधी,॥ सूय.चू.पृ.२३९,२४०; सूय.(नि.१०८-) वृ મૃત્યુબાદ સર્વાર્થસિદ્ધ વિમાને દેવ થયા. |२-वारुदत्त (चारुदत्त) यवती बंभदत्त नी अनुत्त. ८,१३; એક પત્ની વછી ના પિતા चक्काउह (चक्रायुध) सोगमा तीर्थ४२. संति || उत्त.नि. ३४० वृ। (शतिनाथ) न पडेटा शिष्य. १-चित्त (चित्र) मथुरान। २८% सिरिदाम नो सम.३०६; વાણંદ, જેના દ્વારા વિદ્ધા કુમારે રાજાને चक्खुकांता (चक्षुष्कान्ता) मा सवसर्पिीमi|| भारी नin पतरु ४२८., भरतक्षेत्रमा पांयम एस४२ पसेनइ नी पत्नी|| विवा.२९,३०; सम. २६२, आव.नि.१५९; ||२-चित्त (चित्र) सेयवियानगरीन। २% चक्खुम (चक्षुष्मत्) मा सक्सपिएम ॥ 'पएसि' नो सारथी, लेो केसि स्वामीन ભરતક્ષેત્રના સાતમાં કુલકર, જેના શાસનમાં વિનંતી કરી, અને તેમના દ્વારા અધાર્મિક मक्कार नीति ती. पएसि २ने श्राप बनाव्यो. जंबू. ४१,४२; राय.५१,५२,५४-६३; चनिअ (चनक) चाणक्क ना पिता ३-चित्त (चित्र) पारसीना मे यंदानो आव.चू.१-पृ.५६३ પુત્ર અને સંપૂય નો ભાઈ, તેણે દીક્ષા લીધી, चमर (चमर) मा योवीसीना पांयमा तीर्थ६२ ચક્રવર્તી સંપત્તિ માર્ગે લાવવા પ્રયત્ન કર્યો. सुमइ न। प्रथम शिष्य. सूय.चू.प.१०९; उत्त.४०८-४४१; सम. ३०५ उत्त नि.३३०+वृ. उत्त.चू.पृ.२१४; । चाणक्क (चाणक्य) चनियग्गाम ना चनिअ || ४-चित्त (चित्र) यवता बंभदत्त नी पत्नी ब्राहमानो पुत्र. पदीपुत्रन २% चंदगुत्त (२९)विज्जुमइ भने विज्जुमाला ना पिता नो मंत्री, ते छानी भ२९। स्वीयु त्या३|| उत्त.नि.३३९+वृ. सुगंधु मंत्री ७९॥ गोठवी तेने त||चित्तउत्त (चित्रगुप्त) भावती योवीसीमा સળગાવી દીધા. તો પણ આરાધકપણું પામ્યા. ભરતક્ષેત્રમાં થનારા સત્તરમાં તીર્થકર भत्त. १६२, संथा ७३-७५; || सम. ३५७; मरण ४७९; निसी.भा.४४६३-६५; |चित्तनुहुअ (चिाक्षुदक) में साधु... निसी. (भा.६१६,५१३९-) चू || आया.चू.पृ.१६१; आया. (मू.१५७-) वृ. वव.भा.४४१७ वृ जीय भा. ५३१; ||चित्तगुत्त (चित्रगुप्त) हुमो 'चित्तउत्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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