Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi
View full book text
________________
आगम नाम कोसो
७८ (नंदीफल अध्ययनमा सावतो 'जियसत्तु'.. जियसत्तु-४ नो म०पावनी छ भने हाय माहोय तो) नाया १५७;
जियसतु-११ ममहावीर मां थया छ.. ३-जियसत्तु (जितशत्रु) मामा८यानो २८% || उवा.५७,५८, नाया. २२०-२२२,
||१२-जियसत्तु (जितशत्रु) मादिसपुरनो 210 ४-जियसत्तु (जितशत्रु) श्रावस्ती नगरीनो || (भनेमिनाथन। म थयेर) २% (म.पाचन शसन तुं) तु स्पश|| अंत.१०; પરીષહના દૃષ્ટાંતમાં આવે છે.
|१३-जियसत्तु (जितशत्रु) हीनो २०%, नाया.२२५; मरण. ५००; | ભમહાવીરની દેશના સાંભળવા ગયો, તેણે ५-जियसत्तु (जितशत्रु) पायाभनो | भद्दा सार्थवाहिनी न पुत्र घन नो दीक्षा રાજા, તેના શાસનમાં આનંદ ગાથાપતિ થયો.| મહોત્સવ કર્યો. એક વખત ભ.મહાવીરના દર્શનાર્થે || अनुत्त.१०, गयेतो.
१४-जियसत्तु (जितशा) सर्वतोभद्रनगरनो उवा.५;
दसा.१६ | २11. तने महेसरदत्तनामनी पुहिताहता. ६-जियसत्तु (जितशत्रु) यंपानगरीनो २0% || विवा. २७,२८; तेना शासनमा महेव-श्राव थयेलो. १५-जियसत्तु (जितशत्रु) छिी नगरनो (जियसतु २ अने६ छ. म जियसत्तु રાજા, જેણે ધમરિન સાધુને પારણે શુદ્ધ ૨-એ ચતુર્યામ ધર્મ સ્વીકારેલ જયારે || આહાર દાન થકી મનુષ્યાય ઉપાર્જન કરેલ. ભષ્મહાવીરમાં પંચ મહાવ્રત ધર્મ છે.) || જે પછી ચંપામાં મહરિંદ્ર નામે જમ્યો. नाया. २०;
विवा. ४५ ७-जियसत्तु (जितशत्रु) वा५॥२सीनो 218 ||१६-जियसत्तु (जितशत्रु) सावत्थी नगरीनो लेन। शासनभा चुलनीपिया तथा सुरादेव|| રાજા, જે રાજા પfસ નો આજ્ઞાધારી ખંડીયો શ્રાવક થયા.
२सतो. 3था शुभो ‘पएसि उवा.२९;
| राय.५२,५५,५६; ८-जियसत्तु (जितशत्रु) मालमियानो २०%|१७-जियसत्तु (जितशत्रु) मिथिलानो २०%, तेना शासनमा चुल्लसयअ/ग श्राव थयो.|| ४नी पत्नी धारिणी ती. ते म०महावीर उवा.३७
| ના કાળમાં થયો ९-जियसत्तु (जितशत्रु) पिलपुरनो २00, || सूर.१; चंद.२० जंबू १; જેના શાસનમાં ડોતિષ શ્રાવક થયો. ||१८-जियसत्तु (जितशत्रु) २।४हीनो २0%a (जियसत्तु-१ भने ९ जने .) || (ते मते म०पावन शासन तु.) उवा.३९
पुप्फ.३ १०-जियसत (जितशत्रु) पोलासपुरनो २५%80||१९-जियसत्तु (जितशत्रु) स्तिनापुरनो २0% ठेना शासन समये सद्दालपुत्त श्राप थयो. || आव.चू.२-पृ.२७७ उवा.४१;
२०-जियसत्तु (जितशत्रु) जराकुमार नो पुत्र ११-जियसत्तु (जितशत्रु) श्रावस्तीनो २0% | तेने जे पुत्र ससअसने भसअ तथा मे
ना शासनमा ‘नंदिनीनीपिया'. मने पुत्री सुकुमालिया उती. 'लेइयापिता' श्राव येता
गच्छा .(मू.८४-.) निसी.भा.-२३५१-चू. (जियसत्तु-४ भने-११बने होय || बुह.भा.५२५५,५२५६ वृ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208