Book Title: Agam Kaha Koso evam Agam Nama Koso
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrut Prakashan Nidhi
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आगम नाम कोसो
४८ निसी. (भा.६८४-) चू.
सम. ५३,२६४,२६९-२७२,२७७,२८४,२८७, उम्मय (उन्मुच) मे. या६१ २।४।२ २९०,२९४,२९७,३०२,३०५,३०९; नाया १७४;
जंबू. ४१-४६; आव. ४,४१; उलुगच्छि (उलूकाक्षी) सूर्यास्त पछी ४ आ.नि. १९, १५१-१५३, १७०-१७६, २२५, પોતાના વસ્ત્રોને સાંધનાર એક સાધુનું ઉપનામ || २२९-२३७,२५६,२६०,२६६,२७२,२७७,३०२, बुह.भा.४९९१
३३६-३४०,३७८,३८५,३८७,४३५,४३६, १०८७; उवकोसा (उपकोशा) पाउलिपुत्रनी मे
आव.चू. १-पृ. १३१,१६५-१८०,१८६-१८९; ગણિકા તે સT ગણિકાની બહેન હતી.
|| उत्त (नि.९७९-) वृ. आया. (मू.१६९-)वृ.
२-उसभ (ऋषभ) आत्यायन गोत्रनी 'सिला' आव.चू. १-पृ. ५५४, २-पृ १८५; ના પિતા उवनद (उपनन्द) बममनो गई। उत्त.नि.३४० + वृ. २३वासी. नंद तेनो मातो . गोसामान||१-उसभदत्त (ऋषभदत्त) ३. मान। उवनंदे मापेर माडार रुथ्यो नही. तेथी| मेहए!-४नी पत्नी वानहानी मुक्षामा ગુસ્સે થઈને તેને બાળી નાંખેલ.
ભમહાવીર પહેલા અવતરેલા. आव.चू. १-पृ-२८३;
उसभदत्त मत ममहावीरन १-उवयालि (उपजालि) २% वसुदेव अने|| नार्थ गयो (वनगमन वान) धर्मश्र રાણી ધારિખનો પુત્ર, ભ૦ અરિષ્ટનેમિ પાસે | કરી દીક્ષા લઈ મોક્ષે ગયા. हमा बीपी. शत्रुध्य पर्वत मोक्षे गया || भग.४६०-४६२, आव चू. १-पृ २३६; अंत. १६,१७;
२-उसभदत्त (ऋषभदत्त) २ नगरनी २-उवयालि (उपजालि) २०% सेणिअ अने|| मे पति पुष्पदंत १२॥रने शुद्ध રાણી બાપિff ના પુત્ર, દીક્ષા લઈ, અનુત્તર આહારદાન કરી મનુષ્યાય બાંધ્યું અને विमाने गया, था जालि-२' मु४५ सुतकुमार थयो. शुमो ‘सुजाअ अनुत्त १,२,
विवा.३९ उब्बिह (उद्विढ) गोशापान पा२. भुज्य| उसभसामि (ऋषभस्वामिन्) हुमो उसभ-१' ઉપાસમાંનો એક ઉપાસક.
आया.चू.पृ.४; सूय.चू-पृ. ६५; भग. ४०३;
जिय. भा. २१२५, आव.चू. १-पृ. २५१; १-उसभ (ऋषभ) भरतक्षेनी मा आव.(नि १९०-) वृ. योवीसीना पडेटा तीर्थं४२, नाभि पुस २ अने||१-उसभसेन (ऋषभसेन) प्रथम तीर्थ.४२ उसभ મુરાદેવી માતાના પુત્ર વર્તમાન અવસર્પિણીના || ના પ્રથમ ગણધર, ૮૪000 સાધુના મુખ્ય પંદરમાં કુલકર, તેઓ પ્રથમ રાજા હતા. પ્રથમ|| ધારક, ચક્રવર્તી રહ્યું ના પ્રથમ પુત્ર, ली थया, तेमनी हे सुवर्ण वनो तो,|| जंबू.४४;
आव.नि.३४४; ८४ मा पूर्व माय भोगवी भोक्षे गयेदा|| आव.चू. १-पृ. १५८,१८२; सुनंदा भने सुमंगला तेनी पत्नी||२-उसभसेन (ऋषभसेन) वीसमा तीर्थ४२ म० डता भरहबाहुबली वगैरे १०० पुत्री मने || मुनिसुव्वय ना प्रथम मिक्षा Edi, मेरे बंभी सुंदरी पुत्रीमती . | uथापति, बंभदत्त नामे ५९ लेपछे. आया.चू. पृ.४; आया.(मू.३४५-)वृ. || सम. ६९२ आव.नि. ३२९; ठा. ४७३, ठा.(मू.६०२-) वृ. ||उसह (ऋषभ) हुमो उसभ' प्रथम तीर्थ६२
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