Book Title: Agam 45 Anuogdaraim Beiya Chuliya Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स व तदुभयाण वा पमाणे त्ति नामं कज्जइ, से तं नामप्पमाणे । से किं तं ठवणप्पमाणे ? ठवणप्पमाणे सत्तविहे पन्नत्ते तं जहा :- |
[२३९] नक्खत्त-देवय-कुले पासंड-गणे य जीवियाहेउं ।
आभिप्पाइयनामे ठवणानामं तु सत्तविहं ।।
[२४०] से किं तं नक्खत्तनामे ? नक्खत्तनामे कत्तियाहिं जाए-कत्तिए कत्तियादिन्ने कत्तियाधम्मे कत्तियासम्मे कत्तियादेवे कत्तियादासे कत्तियासेने कत्तियारक्खिए, रोहिणीहिं जाएरोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणिदासे रोहिणिसेने रोहिणिरक्खिए य एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा, एत्थ संगहणिगाहाओ ।
[२४१] कत्तिय रोहिणि मिगसिर अद्दा य पुनव्वसू य पुस्से य ।
तत्तो य अस्सिलेसा मघाओ दो फग्गणीओ य ।। [२४२] हत्थो चित्ता साती विसाहा तह य होइ अनुराहा ।
जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा तह उत्तरा चेव ।।। [२४३] अभिई सवण धणिट्ठा सतभिसया दो य हॉति भद्दवया ।
रेवति अस्सिणि भरणि एसा नक्खत्तपरिवाडी ।।
[२४४] से तं नक्खत्तनामे | से किं तं देवयानामे ? देवयानामे-अग्गिदेवयाहिं जाए-अग्गिए अग्गिदिन्ने अग्गिधम्मे अग्गिसम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेने अग्गिरक्खिए एवं सव्वनक्खत्त-देवयानामा भाणियव्वा, एत्थं पि संगहणिगाहाओ :
[२४५] अग्गि पयावइ सोमे रुद्दो अदिती बहस्सई सप्पे ।
पिति भग अज्जम सविया तट्ठा वाऊ य इंदग्गी ।। सत्तं-२४६
[२४६] मित्तो इंदो निरती आऊ विस्सो य बंभ विण्हू य ।
वसु वरुण अय विवद्धी पुस्से आसे जमे चेव ।।
[२४७] से तं देवयनामे | से किं तं कुलनामे ? कुलनामे- उग्गे भोगे राइण्णे खत्तिए इक्खागे नाते कोरव्वे, से तं कुलनामे | से किं तं पासंडनामे ? समणे पंडरंगे भिक्खू कावालिए तावसए परिव्वायगे, से तं पासंडनामे | से किं तं गणनामे ? मल्ले मल्लदिन्ने मल्लधम्मे मल्लसम्मे मल्लदेवे मल्लदासे मल्लसेने मल्लरक्खिए, से तं गणनामे | से किं तं जीवियनामे ? जीवियनामे-अवकरए उक्कुरुडए उज्झियए कज्जवए सुप्पए, से तं जीवियानामे । से किं तं आभिप्पाइयनामे ? अंबए निबंए बबुलए पलासए सिणए पीलुए करीरए, से तं आभिप्पाइयनामे | से तं ठवणप्पमाणे ।
से किं तं दव्वप्पमाणे ? दव्वप्पमाणे छव्विहे पन्नत्ते तं जहा-धम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए, से तं दव्वप्पमाणे | से किं तं भावप्पमाणे ? भावप्पमाणे चउव्विहे पन्नत्ते तं जहासामासिए तद्धितए धाउए निरुत्तिए | से किं तं सामासिए ? सामासिए सत्त समासा भवंति तं जहा :
[२४८] दंदे य बहुव्वीही कम्मधारए दिऊ तहा ।
तप्पुरिस अव्वईभावे एगसेसे य सत्तमे ||
[२४९] से किं तं दंदे ? दंदे-दन्ताश्च ओष्ठौ च दन्तोष्ठं, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरं, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रं, अश्वाश्च महिषाश्च अश्वमहिषं, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलं, से तं दंदे । से किं तं
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४५-अनुओगदाराइं]
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