Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Mehta Mohanlal Damodar
Publisher: Mehta Mohanlal Damodar

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Page 274
________________ .00000000000 00000000000000000000000000000000 जहाय अंडप्पभवा बलागा अंडं बलागप्पभवं जहाय । एमेव मोहाय यणंखु तन्हा मोहंच तन्हाययणं वयंति ॥६॥ रागोय दोसोविय कम्मबीर्थ कम्मंच मोहप्पभवं वयंति । कम्मंच जाई मरणरस मूलं दुख्खं च जाई मरणं वयंति ॥ ७ ॥ दुख्खं हयं जस्स न होइ मोहो मोहो हो जस्स न होइ तन्हा । तन्हा हया जरस न होइ लोहो लोहो हओ जस्सनकिंचणाई॥ ८॥ रागंच दोसंच तहेव मोहं उद्धत्तु कामेण समुलजालं । जे जे उवाया पडिवज्जिायव्वा ते कित्तइस्सामि अहाणुपुद्धि ॥ ९ ॥ जेम पक्षी इंडामाथी उत्पन्न थाय छे अने इंडे पक्षीमांथी उत्पन्न थाय छे तेम तृष्णा मोहर्नु उत्पत्ति स्थान छे अने मोह ए तृष्णानुं उत्पत्ति स्थान छे एम (तीर्थकरे) कहयुं छे. [६]. राग-द्वेष कर्मथी उत्पन्न थाय छे अने कर्मर्नु उत्पत्ति स्थान (तीर्थकरे) मोह कहयुं छे. कर्म ए जन्म मरणर्नु मूळ छे अने जन्म-मरणने (भगवाने) दुःखनुं कारण कहयुं छे. [७]. मोहना अभावे दुःख हणाय छ तृष्णाना अभावे मोह हणाय छ, लोभना अभावे तृष्णा हगाय छे, अने द्रव्यना अभावे लोभ हणाय छे. *[ अर्थात मोह न होय तो दुःख न होय, तृष्णा न होय तो मोह न होय, लोभ न होय तो तृष्णा न होय, अने द्रव्य न होय तो लोभ न होय. ]* [८].18 राग-द्वेष अने मोहने मूळमाथी टाळवा इच्छनार शुं शु उपाय आदरवा ते हुँ अनुक्रमे कहुं छ. (९). . * Delusion the origin of desire मो. जेकोबी आ माटे एवा असरकारक शब्दो वापरेछे के " Misery ceases on the absence of delusion, delusion ceases on the absence of desire, desire ceases on the 11 absence of greed, greed ceases on the absence of property. " 1 Thoroughly uproot. Jain Education Intemattonel For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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