Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Mehta Mohanlal Damodar
Publisher: Mehta Mohanlal Damodar
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उ.अ.
३१०
वन्नओ जे भवे किन्हे भइए सेउ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओविय ॥२२॥ वन्नओ जे भवे नीले भइए । सेउ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओविय ॥२३॥ वन्नओ लोहिए जेउ भइए सेउगंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओविय ॥ २४ ॥ वन्नओ पीयए जेउ भइए सेउ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओविय ॥२५॥ वन्नओ सुकिले जेउ भइए सेउ गंधओ । रसओ फासओ चेव भइए संठाणओविय ॥२६॥ ___ कृष्ण वर्णना पुद्गलोना गंध, रस, स्पर्श अने संस्थान प्रमाणे विभाग पाडेला छे. (२२).* नील वर्णना पुद्गलोना गंध, रस, स्पर्श अने संस्थान प्रमाणे विभाग पाडेला छे. (२३). रक्त वर्णना पुद्गलोना गंध, रस, स्पर्श अने संस्थान प्रमाणे विभाग पाडेला छे. (२४). हारिद्र [पीळा] वर्णना पुद्गलोना गंध, रस, स्पर्श अन संस्थान प्रमाणे विभाग पाडेला छे. (२५). शुक्ल वर्णना पुद्गलांना गंध, रस, स्पर्श अने संस्थान प्रमाणे विभाग पाडेला छे. [२६].
* गाथा २२थी४७ सुधीनो एवो भावार्थ छ के-प्रत्येक वर्णना पुद्गलो बेमांधी एक गंधवाळा, पांचमांथी एकाद रसवाळा, आठमांथी एकाद स्पर्शवाळा, अने पांचमाथी एकाद आकारवाळा होय छे एवीज रीते प्रत्येक गंधवाळा पुद्गलो पांचमाथी एकाद वर्णना, पांचमांथी एकाद रसवाना, आठमांथी एकाद स्पर्शवाळा अने पांचमांथी एकाद आकारना होय छे. एवीज रीते प्रत्येक रसवाला पुदगलो पांचमांथी एकाद वर्णना, बेमांथी एकाद गंधवाळा, आठमांथी एकाद स्पर्शवाळा अने पांचमांथी एकाद आकारना होय छे. तेमज बळी प्रत्येक स्पर्शवाला पुदगलो पांचमांथी एकाद वर्णना, बेमांथी एकाद गंधवाळा, पांचमांथी एकाद रसवाळा, अने पांचमांथी एकाद आकारना होय छे एवीज रीते प्रत्येक संस्थानना पुद्गलो पांचमांथी एकाद वर्णना, बेमाथी एक गंधवाळा, पांचमांथी एकाद रसवाळा अने आठमांथी एकाद स्पर्शवाळा होय छे.
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