Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Author(s): Saubhagyamal Maharaj
Publisher: Sthanakvasi Jain Conference

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Page 5
________________ समर्पण जिनकी कृपा कटाक्ष से हृदयमें वैराग्यकी उर्मियां प्रवाहित होती हैं, विचारबल जागृत होता है और त्यागी जीवन का अलौकिक शानंद पूर्णरूपसे अनुभव में आता है उन पूज्यपाद गुरुके कर कमलों में इस अनुवाद को अर्पण कर स्वयंको कृतार्थ मानता हूं। "सौभाग्य"

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